30 वर्षों में पहली बार यूपी बोर्ड में नहीं रद्द की गई कोई परीक्षा
लखनऊ 30 वर्षों में पहली बार यूपी बोर्ड में नहीं रद्द की गई कोई परीक्षा
डिजिटल डेस्क,लखनऊ। यूपी में नकल विहीन परीक्षा कराने का सरकार का मिशन सफल रहा। सरकार की ओर से दावा किया गया है कि पांच मार्च को संपन्न हुई बोर्ड परीक्षाओं में 30 वर्ष में पहली बार किसी परीक्षा को रद्द नहीं करना पड़ा और दोबारा परीक्षा नहीं करानी पड़ी।
पूरे प्रदेश में संचालित की गई इन परीक्षाओं की तैयारियों और सुरक्षा को इतना पुख्ता रखा गया था कि परीक्षा से पहले प्रश्न पत्रों के वायरल होने का एक भी वाकया सामने नहीं आया। इतना ही नहीं, परीक्षा में नकल करते हुए पाए जाने वाले छात्रों की संख्या भी काफी कम रही। वहीं, हीलाहवाली के कुछ मामलों में छात्रों, कक्ष निरीक्षकों, प्रधानाचार्यों , प्रबंधकों व अन्य के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई। उल्लेखनीय है कि परीक्षाओं को नकल विहीन बनाने के लिए योगी सरकार की ओर काफी तैयारी की गई थी। यूपी एसटीएफ की मदद से संवेदनशील परीक्षा केंद्रों की मॉनीटरिंग कराई गई थी। लखनऊ में दो राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम से प्रत्येक परीक्षा केंद्र की निगरानी रखी गई तो वहीं 3 लाख कैमरों ने भी नकलविहीन परीक्षाएं संपन्न कराने में अहम योगदान दिया।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ल के अनुसार इस बार जो तैयारियां की गई थीं, उनका अच्छा परिणाम सामने आया है। प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के दृष्टिगत इस वर्ष पहली बार प्रश्नपत्रों की पैकेजिंग चार लेयर में टेम्पर्ड प्रूफ लिफाफों में सुरक्षा के सभी मानकों को ध्यान में रखते हुए कराई गई। इसके चलते प्रश्नपत्रों के गलत खोलने एवं उनके वायरल किए जाने की कोई घटना घटित नहीं हुई। इसके अलावा सामूहिक नकल कराया जाना, प्रश्नपत्रों के गलत खोलने, प्रश्नपत्रों को वायरल किए जाने की कोई घटना घटित नहीं हुई जिसके चलते विगत तीस वर्षों के इतिहास में इस वर्ष पुन: परीक्षा आयोजित कराने की कोई स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के जो इंतजाम किए गए, निगरानी समेत जो तैयारियां की गईं, उनके परिणाम बेहद कारगर रहे और सफलतापूर्वक नकलविहीन परीक्षाएं संचालित करा सके।
दिव्यकांत शुक्ल के अनुसार, इस बार की परीक्षाओं में कुल 58 लाख 85 हजार 745 छात्रों ने परीक्षाओं में रजिस्ट्रेशन कराया था। इनमें हाई स्कूल के 3116487 छात्र थे, जबकि इंटरमीडिएट के 2769258 छात्र शामिल थे। हालांकि कुल 5454174 छात्रों (हाईस्कूल के 2907533 और इंटर के 2546640 छात्र) ने ही परीक्षा दी। कुल 431571 छात्र (हाईस्कूल के 208953 और इंटर के 222618 छात्र) परीक्षाओं में अनुपस्थित रहे। यदि अनुचित साधनों का प्रयोग करते हुए पकड़े गए परीक्षार्थियों की बात करें तो कुल 81 छात्र इसमें सम्मिलित रहे। हाईस्कूल में 51 (32 बालक व 19 बालिकाएं), जबकि इंटर में 30 (22 बालक व 8 बालिकाएं) नकल करते हुए पाए गए। यही नहीं, 85 लोगों पर एफआईआर की भी कार्यवाही की गई। 133 छद्म छात्र पाए गए, जिनमें से कई को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। वहीं 3 कक्ष निरीक्षकों, 6 प्रधानाचार्यों या केंद्र व्यवस्थापकों, 4 प्रबंधकों और 14 अन्य के खिलाफ एफआईआर की गई।
इस बार परीक्षाओं को नकलविहीन कराने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए थे। प्रश्नपत्रों के रख-रखाव हेतु स्ट्रांग रूम को प्रधानाचार्य कक्ष से इतर अन्य सुरक्षित कक्ष में रखा गया। इसे खोलने एवं बंद करने का उत्तरदायित्व पहली बार जिलाधिकारी द्वारा नामित परीक्षा केंद्र पर नियुक्त स्टेटिक मजिस्ट्रेट को दिया गया। 2023 में पहली बार उत्तर पुस्तिकाओं पर क्यूआर कोड तथा माध्यमिक शिक्षा परिषद का लोगो लगाया गया। इसके साथ ही सभी जनपदों में पहली बार सिलाईयुक्त उत्तर पुस्तिकाएं तैयार कराई गईं। इस वर्ष पहली बार प्रश्नपत्रों की सुरक्षा हेतु स्ट्रांग रूम की रात्रिकालीन निगरानी हेतु अधिकारियों की 632 भ्रमण टीमों का गठन करके सभी 8753 परीक्षा केंद्रों के स्ट्रांग रूम का कुल 28716 बार निरीक्षण कराया गया।
उन्होंने कहा कि सभी परीक्षा केंद्रों के लगभग 1.43 लाख परीक्षा कक्षों और परिसर में लगभग 3 लाख वॉयस रिकॉर्डरयुक्त सीसीटीवी कैमरे, डीवीआर राउटर डिवाइस और हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन की व्यवस्था की गई। सभी 75 जनपदों में एवं राज्य स्तर पर कंट्रोल एवं मॉनीटरिंग सेंटर के माध्यम से सभी 8753 परीक्षा केंद्रों की वेब कास्टिंग द्वारा लाइव मॉनीटरिंग हुई। सभी संवेदनशील एवं अति संवेदनशील परीक्षा केंद्रों की निगरानी के लिए एसटीएफ एवं एलआईयू को सक्रिय किया गया। उन्होंने कहा कि हाईस्कूल में पहली बार 20 अंकों की बहुविकल्पीय प्रश्नों की परीक्षा ओएमआर शीट पर कराई गई।
(आईएएनएस)
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