लंबा समय बीत जाने के बावजूद कई विश्वविद्यालयों ने नहीं मानी यूजीसी की सलाह
नई दिल्ली लंबा समय बीत जाने के बावजूद कई विश्वविद्यालयों ने नहीं मानी यूजीसी की सलाह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की अवर सचिव ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को कॉलेजों में जातीय आधारित भेदभाव की निगरानी के लिए एक सकरुलर जारी करते हुए भेदभाव संबंधी शिकायत दर्ज करने के लिए अपना वेबसाइट पेज निमित्त करने को कहा था। हालांकि लंबा समय बीत जाने के बावजूद कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका परिणाम यह है कि लगातार कॉलेजों में जातीय आधारित भेदभाव की घटनाएं घटित हो रही हैं।
यूजीसी ने यह सकरुलर दिल्ली विश्वविद्यालय, इलाहबाद विश्वविद्यालय, डॉ आंबेडकर विश्वविद्यालय ,बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जेएनयू, जामिया मिलिया इस्लामिया, इग्नू, एमडीयू, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, आईपी यूनिवर्सिटी, अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली समेत देशभर के विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को सकरुलर जारी करते हुए कहा था कि यूजीसी उच्च शिक्षण संस्थानों में जातीय आधारित किसी भी भेदभाव की निगरानी कर रहा है। यूजीसी ने यह सकरुलर उन विश्वविद्यालयों को भेजा था जो यूजीसी की लिस्ट में है और जो उससे अनुदान प्राप्त करती है। इन विश्वविद्यालयों को यूजीसी के द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में एससी, एसटी, ओबीसी के शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों के साथ हो रही जातीय आधारित घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि पिछले चार साल से जातीय आधारित किसी भी तरह के भेदभाव की निगरानी संबंधी कमेटी डीयू के कॉलेजों व उच्च शिक्षण संस्थानों में नहीं बनी है जबकि यूजीसी सकरुलर जारी हुए चार साल व्यतीत हो चुके हैं।
उन्होंने जल्द से जल्द विश्वविद्यालय व कॉलेज स्तर पर जातीय उत्पीड़न रोकने के लिए जातीय उत्पीड़न निवारण सैल की स्थापना किए जाने की मांग की है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह से यह भी मांग की है कि डीयू के विभागों, कॉलेजों में जातीय आधारित किसी भी भेदभाव की निगरानी करने के लिए विश्वविद्यालय व कॉलेज स्तर पर जातीय उत्पीड़न सुरक्षा कमेटी गठित की जाए। कमेटी में एससी, एसटी और ओबीसी के शिक्षकों व कर्मचारियों को रखा जाए।
डॉ. सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकांश ऐसे कॉलेज हैं जहां शिक्षकों व कर्मचारियों के साथ जातीय भेदभाव की घटनाएं घटित हुई है। डीयू के भीमराव अंबेडकर कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज , स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज , लक्ष्मीबाई कॉलेज , हिंदू कॉलेज , भगनी निवेदिता कॉलेज , अदिति महिला कॉलेज , दौलतराम कॉलेज के अलावा बहुत से कॉलेज है जिनके मामले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में दर्ज है। दोनों आयोगों द्वारा कार्रवाई करने के लिए कॉलेज प्रशासन व विश्वविद्यालय को लिखा जाता है लेकिन समाधान नहीं हो पाता। उन्होंने बताया है कि सबसे ज्यादा मामले शिक्षकों की नियुक्ति में रोस्टर व आरक्षण का सही ढंग से पालन न करना है, इसी तरह से कर्मचारियों की नियुक्ति व पदोन्नति के मामले आयोग में पंजीकृत है।
(आईएएनएस)
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