एफवाईयूपी और एनईपी के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों एवं छात्रों का प्रदर्शन
नई दिल्ली एफवाईयूपी और एनईपी के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों एवं छात्रों का प्रदर्शन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डीयू और जेएनयू के छात्र और शिक्षकों के एक समूह ने एफवाईयूपी और एनईपी के खिलाफ शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रदर्शन किया। डीयू बचाओ अभियान के तहत एनईपी और एफवाईयूपी का विरोध कर रहे छात्र और शिक्षकों ने इन नीतियों के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय की फैकल्टी ऑफ आर्ट्स के बाहर गेट नंबर एक जनसभा आयोजित की।
छात्रों एवं शिक्षकों के समर्थन में राज्यसभा सांसद मनोज झा, पूर्व सांसद उदित राज, वामपंथी नेता वृंदा करात समेत कई अन्य राजनीतिक व्यक्ति भी पहुंचे। इस दौरान एसएफआई से जुड़े छात्रों ने कहा कि तथाकथित नई शिक्षा नीति की आड़ में शिक्षा के क्षेत्र में भगवाकरण, सांप्रदायिकता, निजीकरण और बहिष्कार को बढ़ावा देने वाली गरीब विरोधी नीतियों के खिलाफ हमारे संघर्ष का यह पहला चरण है। बैठक को विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दलों जैसे सीपीआईएम सीपीआई आईएनसी, राजद, सीपीआईएमएल, जेएनयू और डीयू के प्रोफेसरों और छात्र नेताओं ने संबोधित किया।
माकपा के कॉमरेड बृंदा करात ने कहा कि जहांगीरपुरी के गरीब प्रभावित परिवारों का संघर्ष सीधे देश के प्रत्येक छात्र के संघर्ष से संबंधित है क्योंकि यह उसी सांप्रदायिकता के खिलाफ है। कॉपोर्रेट गठजोड़ जिसे सरकार अपनी नीतियों के माध्यम से प्रतिपादित करने का प्रयास कर रही है। जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष ने संघर्ष के प्रति एकजुटता व्यक्त की। डीयू के कई छात्र भी एनईपी पर अपनी राय रखने के लिए आगे आए। हिंदू कॉलेज से अदिति त्यागी ने साझा किया कि कैसे निजीकरण की बुराइयों ने छात्रों को उच्च छात्रावास शुल्क के मामले में प्रभावित करना शुरू कर दिया है।
इसका सबसे ज्यादा असर हाशिए के समुदायों के छात्रों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे छात्र को अपनी डिग्री पूरी करने से पहले ही छात्रावास छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनईपी और एफवाईयूपी केवल सार्वजनिक वित्त पोषित शिक्षा की स्थिति खराब कर रहे हैं।
(आईएएनएस)