शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना के अध्ययन को शामिल करने का आह्वान : शिक्षा सचिव
प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना के अध्ययन को शामिल करने का आह्वान : शिक्षा सचिव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना के अध्ययन को शामिल करने का आह्वान किया जा रहा है। इस संदर्भ में केंद्रीय शिक्षा सचिव के. संजय मूर्ति का कहना है कि यह समय की मांग है कि शैक्षणिक संस्थान भारत सरकार की इस पहल के महत्व को समझें।
संजय मूर्ति ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों के पास गुणवत्तापूर्ण ज्ञान के प्रसार तथा प्रासंगिक शोध के माध्यम से लॉजिस्टिक्स एवं बुनियादी ढांचा के क्षेत्रों में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की शक्ति है।संजय मूर्ति शिक्षा मंत्रालय एवं भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीच्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन्स एंड जियो - इन्फार्मेटिक्स (बीआईएसएजी-एन) के सहयोग से एनआईटीआईई मुंबई द्वारा शहरी नियोजन हेतु तथा मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देने के लिए उपग्रह संचार, भू-सूचना विज्ञान और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का सदुपयोग शीर्षक विषय पर एक ऑनलाइन कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
पिछले सप्ताह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित मुख्य सचिवों के सम्मेलन का उल्लेख करते हुए के. संजय मूर्ति ने बताया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्य सरकारों द्वारा अपनी दक्षता एवं अर्थव्यवस्था को उन्नत करने के लिए गतिशक्ति प्लेटफार्म की क्षमताओं का लाभ उठाए जाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि व्यापार और बुनियादी ढांचे से जुड़े क्षेत्रों में गति शक्ति के बारे में चर्चा की जा रही है।
के. संजय मूर्ति ने लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन से संबंधित एक मॉडल पाठ्यक्रम एवं कार्यक्रम बनाने के लिए निदेशक प्रोफेसर एम. के. तिवारी के नेतृत्व में एनआईटीआईई द्वारा की गई पहल की सराहना की, जिसे अन्य प्रमुख संस्थानों द्वारा अपनाया जा सकता है। उन्होंने एआईसीटीई को संकाय सदस्यों के प्रशिक्षण हेतु विभिन्न विषयों के लिए व्यापक पाठ्यक्रम व कार्यक्रम तैयार करने की भी सलाह दी।
उल्लेखनीय है कि एनआईटीआईई मुंबई लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में क्षमता निर्माण के लिए नोडल हब है। बीआईएसएजी-एन के महानिदेशक डॉ. टी.पी. सिंह द्वारा मल्टीमॉडल परिवहन के एकीकृत प्रबंधन के लिए भू-स्थानिक एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के बारे में एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई।
एआईसीटीई के उपाध्यक्ष डॉ. पूनिया ने इस क्षेत्र से संबंधित संकाय के क्षमता निर्माण की जरूरत पर बल दिया। इस कार्यशाला में उभरे कुछ कार्य बिंदु इस प्रकार हैं :
-शिक्षा संस्थानों को छात्रों एवं उद्योग जगत के पेशेवरों के प्रशिक्षण में योगदान करने की जरूरत है।
-इन संस्थानों को बीआईएसएजी-एन द्वारा विकसित प्लेटफार्म का उपयोग करने और बुनियादी ढांचे के विकास सहित विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए इस प्लेटफार्म को मजबूत करने के उद्देश्य से अनुसंधान कार्य, परियोजनाओं, इंटर्नशिप आदि के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
-लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, एनईपी 2020 और पीएम गति शक्ति मिशन की जरूरतों के बीच सामंजस्य हेतु व्यावहारिक एवं तथ्यात्मक समन्वय व एकीकरण।
-इन संस्थानों ने लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला में अंतरविषयी कार्यक्रमों के माध्यम से पाठ्यक्रम शुरू करने तथा विभिन्न विभागों के बीच आने वाली बाधाओं को हटाने के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने पर जोर दिया है।
इस कार्यशाला का संचालन एनआईटीआईई के निदेशक प्रोफेसर मनोज कुमार तिवारी ने किया। उन्होंने पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान की प्रासंगिकता और संभावनाओं के बारे में बताया। उन्होंने एनईपी 2020 के माध्यम से पीएम गति शक्ति योजना को बढ़ावा देने की व्यापक रूपरेखा के बारे में भी जानकारी दी।
पीएम गति शक्ति योजना के तहत आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में आयोजित इस कार्यशाला में आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और सीएफटीआईएस के कई प्रतिष्ठित निदेशकों ने भाग लिया।
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