जयपुर जिले का एक स्कूल भारत का पहला डिजिटाइज्ड स्कूल बना

उपलब्धि जयपुर जिले का एक स्कूल भारत का पहला डिजिटाइज्ड स्कूल बना

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-04 14:30 GMT
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डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित आदर्श विद्या मंदिर स्कूल भारत का पहला डिजिटाइज्ड स्कूल बन गया है, जहां छात्रों को पढ़ने के लिए पाठ्यपुस्तकें और भारी बैग ले जाने की जरूरत नहीं होगी।

आश्रय के अध्यक्ष सतीश झा ने कहा कि अमेरिकी पाठ्यक्रम और प्रमाणन के साथ एसटीईएम रोबोटिक्स और एआई कार्यक्रम की पेशकश करने वाला यह पहला स्कूल है, जो भारत में अपनी तरह का पहला है।

इस स्कूल के कुल 350 छात्र अब टैबलेट के साथ अध्ययन करेंगे। छात्रों और स्कूल में पढ़ाने वाले 25 शिक्षकों टैबलेट वितरित किए गए हैं। झा ने कहा है कि कक्षाओं के डिजिटलीकरण के तहत हमारे वन टैबलेट पर चाइल्ड (ओटीपीसी) और डिजिटल लनिर्ंग इकोसिस्टम प्रोग्राम के तहत छात्रों और शिक्षकों को टैबलेट प्रदान किए गए हैं।

सतीश झा ने आगे कहा कि भारत में स्लेट टू स्क्रीन यात्रा के माध्यम से शिक्षा को फिर से परिभाषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं क्योंकि टैबलेट ने पाठ्यपुस्तकों की जगह ली है। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में प्रत्येक बच्चे को उसकी वित्तीय पृष्ठभूमि के बावजूद विश्व स्तरीय शिक्षा मिले। तकनीकी ज्ञान स्कूली शिक्षा जितना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आजकल दुनिया की आवाज बन गया है। टैबलेट के माध्यम से डिजिटल शिक्षा से छात्रों को अत्याधुनिक शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे वे भविष्य के लिए तैयार होंगे।

जब झा से पूछा गया कि यह स्कूल डिजिटाइज्ड होने वाला देश का पहला स्कूल कैसे है। तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि 50 लाख रुपये से अधिक फीस स्ट्रक्च र वाले स्कूलों को पढ़ाई के लिए लैपटॉप और टैबलेट जैसी सुविधाएं मिलती हैं। हालांकि, यहां यूएसपी यह है कि सभी बच्चों को डिजिटल लनिर्ंग इकोसिस्टम प्रोग्राम मिलते हैं।

यह पहला स्कूल है जहां प्रत्येक छात्र और शिक्षक को टैबलेट दिए गए हैं। यहां के स्कूलों में 500 रुपये प्रति माह की फीस है और यह सभी लड़कियों के स्कूल हैं। विश्व शिक्षा प्रणाली के समकक्ष जाने के लिए हमें बच्चों को नई ऊंचाइयों को छूने की जरूरत है।

उन्होंने आगे कहा कि जयपुर के अंबाबारी में स्थित आदर्श विद्या मंदिर भारत का पहला स्कूल है जहां सभी छात्रों के पास टैबलेट। छठी और 12वीं कक्षा के बीच पढ़ने वाले ये छात्र पूरे पाठ्यक्रम को अपने टैबलेट पर एक्सेस कर सकते हैं, जिससे शिक्षक पाठ्यपुस्तकों और ब्लैकबोर्ड की आवश्यकता के बिना छात्रों को पढ़ा सकते हैं। डिजिटल शिक्षण और सीखने के तरीके पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। छात्रों को जब भी कोई प्रश्न पूछना है तो वे शिक्षकों से संपर्क कर सकते हैं और इसे तुरंत हल कर सकते हैं।

विद्या भारती के राजस्थान चैप्टर के संगठन सचिव शिव प्रसाद ने कहा कि आश्रय ने शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल के तरीके में क्रांति ला दी है। यह एक ऐतिहासिक कदम है। टैबलेट के साथ एसटीईएम रोबोटिक्स और एआई और राजस्थान बोर्ड के पाठ्यक्रम को पढ़ाना शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व क्षण है।

आदर्श विद्या मंदिर की प्रधानाचार्य अलका जैन ने कहा कि शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग से छात्रों को ज्ञान और अवसरों की दुनिया को अनलॉक में मदद मिलेगी। हमें भारत में स्कूली शिक्षा में डिजिटल लनिर्ंग इकोसिस्टम शुरू करने वाला पहला स्कूल बनने का सम्मान मिला है।

रोबोटिक्स शिक्षण और टैबलेट के उपयोग से समर्थित डिजिटल क्रांति ने निश्चित रूप से छात्रों की आकांक्षाओं को बढ़ाया है। टैबलेट जैसे डिजिटल उपकरण बच्चों की जिज्ञासा और इच्छा को बढ़ाते हैं। छात्रों को नई चीजें सीखने और अधिक खोज करने के लिए, जो उन्हें बढ़ने में मदद करेगा।

(आईएएनएस)

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