एनसीईआरटी की किताबों पर बतौर सलाहकार अब नहीं रहेंगे योगेंद्र यादव व सुहास पालसीकर के नाम
एनसीईआरटी ने यह कार्रवाई योगेंद्र यादव और सुहास पालसीकर के अनुरोध पर ही की है।
सलाहकार रहे इन लोगों का कहना है कि एनसीईआरटी की पुस्तकों में मनमाने और गैरतार्किक तरीके से तथ्यों को हटाया व जोड़ा जा रहा है। एनसीईआरटी के रवैए से क्षुब्ध सुहास पालसीकर और योगेंद्र यादव ने परिषद को पत्र लिखकर राजनीति विज्ञान की पुस्तकों से मुख्य सलाहकार के रूप में उनका नाम हटाने के लिए कहा था। एनसीईआरटी का कहना है कि योगेंद्र यादव के अनुरोध के बाद मुख्य सलाहकार के रूप में उनका नाम पाठ्यपुस्तकों से हटा दिया गया है।
योगेंद्र यादव का कहना है, एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को युक्ति संगत बनाने के नाम पर इन पुस्तकों को विकृत कर दिया गया है, स्थिति यह है कि एनसीईआरटी की ये पुस्तकें अकादमिक रूप से बेकार हो गई हैं। यादव और पालसीकर 9वीं से 12वीं कक्षा तक की राजनीति विज्ञान की पुस्तकों के मुख्य सलाहकार थे। गौरतलब है कि इससे पहले रोमिला थापर, जयंती घोष, मृदुला मुखर्जी, अपूर्वानंद, इरफान हबीब और उपिंदर सिंह जैस शिक्षाविदों व इतिहासकारों ने एनसीईआरटी की किताबों में किए गए बदलाव की आलोचना की थी। इन इतिहासकारों ने कहा है कि स्कूल की पाठ्य पुस्तकों से इतिहास से जुड़े अध्यायों को हटाना विभाजनकारी और पक्षपातपूर्ण कदम है। इतिहासकारों ने एनसीईआरटी से कुछ अध्यायों को हटाने का निर्णय वापस लेने की मांग की है।
एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक से मुगलों और 11वीं कक्षा की किताब से उपनिवेशवाद से संबंधित कुछ अंश को हटाया गया है। इसके अलावा महात्मा गांधी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कुछ तथ्य भी पुस्तकों से हटाए गए हैं। इन बदलावों पर एनसीईआरटी का कहना है कि ये कोई बहुत बड़े बदलाव नहीं हैं। दूसरी बात यह है कि ये सभी बदलाव बीते वर्ष किए गए थे, ताकि कोरोना के कारण लंबे समय बाद स्कूल आए छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम रहे।
इसके अलावा हाल ही में 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पुस्तक स्वतंत्र भारत में राजनीति के सातवें अध्याय क्षेत्रीय आकाक्षाएं में खालिस्तान से जुड़े अंश हटाए गए हैं। सिख संगठनों की दलील थी कि एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों में ऐसे तथ्यों से सिखों की छवि खराब हो रही है। सिख संगठनों की इसी दलील के आधार पर एनसीआरईटी ने इन अंशों को हटाने का फैसला किया है। एनसीईआरटी ने कक्षा 10 की पाठ्यपुस्तक व विज्ञान के सिलेबस से चार्ल्स डार्विन की एवोल्यूशन थ्योरी का अध्याय हटाने का फैसला किया है। देशभर के 18 सौ से अधिक वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने इस पर अपना विरोध जताया है।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|