बीएचयू में 60 हजार रुपये महीना 'राजा ज्वाला प्रसाद' फेलोशिप

  • युवा शोधकर्ताओं को बतौर पोस्ट-डॉक्टोरल स्टूडेंट अपने साथ जोड़ पाएंगे
  • चयनित छात्रों को 60,000 रुपये मासिक वेतन प्राप्त होगा
  • ‘राजा ज्वाला प्रसाद पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप’ आरंभ की है

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-01 15:44 GMT

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में भारत सरकार की इंस्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस - बीएचयू पहल के तहत ‘राजा ज्वाला प्रसाद पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप’ आरंभ की है। चयनित छात्रों को 60,000 रुपये मासिक वेतन प्राप्त होगा।

साथ ही वे 10,000 रुपये मासिक एचआरए एवं 50,000 रुपये वार्षिक का आकस्मिक अनुदान भी प्राप्त कर पाएंगे। इसके अतिरिक्त उन्हें विश्वविद्यालय की अन्य सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य सेवा, पुस्तकालय एवं अन्य संसाधनों का लाभ भी मिल सकेगा। इस फेलोशिप का उद्देश्य विश्वविद्यालय के उन संकाय सदस्यों को प्रोत्साहित व सशक्त करना है, जिन्होंने शोध परियोजनाओं के लिए बाहरी इकाइयों एजेंसियों से अनुदान हासिल किया है।

विश्वविद्यालय के मुताबिक ऐसे संकाय सदस्य इस योजना के तहत युवा शोधकर्ताओं को बतौर पोस्ट-डॉक्टोरल स्टूडेंट अपने साथ जोड़ पाएंगे। यह फेलोशिप एक वर्ष की अवधि के लिए होगी, जिसे छात्र के प्रदर्शन तथा आईओई में वित्त की उपलब्धता के आधार पर एक और वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने कहा कि उनके भूतपूर्व प्रो. वाइस चांसलर राजा ज्वाला प्रसाद के नाम पर आरंभ यह योजना विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए महामना द्वारा आरंभ किए गए अभियान में उनके योगदान को श्रद्धांजलि है। वह उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से थे तथा राज्य के मुख्य अभियंता भी रहे। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर रूपरेखा तैयार की, जो वर्तमान के बीएचयू का आधार है और 100 वर्ष से भी अधिक का वक्त गुज़रने के बाद भी अपनी प्रतिष्ठा की आभा से जगमगा रहा है।

कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा, “यह फैलोशिप युवा व प्रतिभावान शोधकर्ताओं को आकर्षित कर विश्वविद्यालय में अनुसंधान गतिविधियों को गति प्रदान करेगी। साथ ही साथ इन युवा अध्येताओं को एक सफल शैक्षणिक व शोध करियर बनाने में भी मदद करेगी।

इस योजना के माध्यम से हम प्रख्यात इंजीनियर राजा ज्वाला प्रसाद के योगदान को नमन करना चाहते हैं, जिन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के बेजोड़ परिसर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर के रूप में भी सेवाएं दीं।”

आईओई-बीएचयू के समन्वयक प्रो. संजय कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय ऐसे संकाय सदस्यों के योगदान को अत्यंत महत्व देता है, जो अनुसंधान गतिविधियों के लिए बाहरी अनुदान सुनिश्चित करते हैं। यह योजना नई उपलब्धियां हासिल करने के ऐसे शिक्षकों के प्रयासों में सहयोग उपलब्ध कराएगी।

विश्वविद्यालय का कहना है कि राजा ज्वाला प्रसाद पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप विभिन्न विभागों तथा शोध क्षेत्रों के बीच अंतर्विषयक सहयोग को भी प्रोत्साहित करेगी। साथ ही साथ वर्तमान में जारी अनुसंधान परियोजनाओं को अतिरिक्त शोध सहयोग उपलब्ध कराते हुए उन्हें गति प्रदान करने में सहायक होगी। जिन संकाय सदस्यों के तहत राजा ज्वाला प्रसाद पोस्ट डॉक्टोरल अध्येताओं की नियुक्ति होगी, वे मार्गदर्शक की भूमिका में होंगे।

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