आज इस मुहूर्त में करें हिन्दू धर्म के दिव्य वास्तुकार की पूजा, जानें इस दिन का महत्व

विश्वकर्मा जयंती 2022 आज इस मुहूर्त में करें हिन्दू धर्म के दिव्य वास्तुकार की पूजा, जानें इस दिन का महत्व

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-14 11:40 GMT
आज इस मुहूर्त में करें हिन्दू धर्म के दिव्य वास्तुकार की पूजा, जानें इस दिन का महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म के दिव्य वास्तुकार माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर साल कन्या संक्रांति के दिन के मनाई जाती है। जो कि इस वर्ष 17 सितम्बर को मनाई जा रही है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, जब सूर्य सिंह राशी से कन्या राशी में प्रवेश करता हैं तो इसे ही कन्या सक्रांति कहतें हैं। 

इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। लोग अपने वाहन, कारखानों और मशीनों की भी पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा से व्यक्ति के व्यापार में वृद्धि होती है। विश्वकर्मा जी का जिक्र 12 आदित्यों और वेदों में भी किया गया है। आइए जानते हैं विश्वकर्मा जयंती का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...

शुभ मुहूर्त 
प्रथम शुभ मुहूर्त:  17 सितंबर, प्रातः 07:39 बजे से प्रातः 09:11 बजे तक
द्वितीय शुभ मुहूर्त: मध्याह्न 01:48 बजे से मध्याह्न 03:20 बजे तक
तृतीय शुभ मुहूर्त: मध्याह्न 03:20 बजे से शाम 04:52 बजे तक

विश्वकर्मा पूजन विधि 
- विश्वकर्मा जयंती के दिन सुबह जल्दी स्नान करें।
- फिर पूजा स्थल की सफाई कर, गंगा जल से स्थान को पवित्र कर लें। 
- अब एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछा दें।
- फिर कपड़े पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाते हुए भगवान गणेश जी का ध्यान लगाएं।
- अब अक्षत छिड़कें और कपड़े के ऊपर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र लगाएं।
- भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा के माथे पर रोली चावल लगाकर तिलक करें।
- साथ ही एक दीपक प्रज्वलित करके ध्यान लगाएं।
- अब भगवान विश्वकर्मा के मंत्र, ओम आधार शक्तपे नमः, ओम कूमयि नमः, ओम अनन्तम नमः, पृथिव्यै नमः का जाप करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु जी और  विश्वकर्मा जी की आरती करके उनसे सभी चीजों को और करोबार को ठीक तरह से चलने का आर्शीवाद मागें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष, वास्तुशास्त्री) की सलाह जरूर लें।

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