वैशाख स्नान शनिवार से प्रारंभ, किस प्रकार करें स्नान व व्रत , जानिए यहाँ

वैशाख स्नान शनिवार से प्रारंभ, किस प्रकार करें स्नान व व्रत , जानिए यहाँ

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-18 11:40 GMT
वैशाख स्नान शनिवार से प्रारंभ, किस प्रकार करें स्नान व व्रत , जानिए यहाँ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा से वैशाख मास स्नान आरंभ हो जाता है। यह स्नान पूरे वैशाख मास तक चलता है। इस बार वैशाख मास स्नान 20 अप्रैल, दिन शुक्रवार से प्रारंभ हो रहा है, जो कि 18 मई 2019 दिन शनिवार तक चलेगा। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा से वैशाख मास स्नान आरंभ हो जाता है। यह स्नान पूरे मास चलता है। इस बार वैशाख मास स्नान 20 अप्रैल, शनिवार से प्रारंभ हो रहा है।
स्कंदपुराण के अनुसार वैशाख मास को सभी मासों में उत्तम दर्शाया गया है।

इस वैशाख मास में सूर्योदय से पहले जो व्यक्ति स्नान करता है तथा व्रत रखता है, वह भगवान विष्णु का कृपापात्र होता है। स्कंदपुराण में उल्लेख है कि महीरथ नामक राजा ने केवल वैशाख स्नान से ही वैकुण्ठधाम प्राप्त किया था। इस मास में व्रती को प्रतिदिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व किसी तीर्थस्थान, सरोवर, नदी या कुएं पर जाकर अथवा घर में ही स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय सूर्य देव को अध्र्य देते समय नीचे लिखा मंत्र जपना चाहिए।

वैशाखे मेषगे भानौ प्रात: स्नानपरायण:।

अध्र्यं तेहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।

वैशाख व्रत महात्म्य की कथा सुनना चाहिए तथा इस मंत्र का यथा संभव जप करना चाहिए।

स्नान मंत्र :-

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र ।।

जानें वैशाख मास में गंगा स्नान क्यों शुभ माना गया है ?

हिन्दू धर्म में गंगा नदी को माता का पद दिया गया है। यह देव नदी भी मानी गई है, क्योंकि पौराणिक मान्यताओं में गंगा स्वर्ग से भू-लोक में जगत कल्याण के लिए राजा भगीरथी के घोर तप से आई। इस दौरान गंगा के अलौकिक वेग को भगवान शंकर ने अपनी जटाओं से काबू किया। यही कारण है कि युग-युगान्तर से गंगा पावन और मोक्ष देने वाली मानी जाती है। वैज्ञानिक रूप से यह साबित हो चुका है कि गंगा का जल पवित्र और रोगनाशक है।

यही कारण है कि धर्म में आस्था रखने वाले अनेक लोग गंगा स्नान की गहरी चाहत रखते हैं। खासतौर पर हिन्दू माह वैशाख में तो गंगा स्नान महापापों का नाश करने वाला भी माना गया है। इसलिए हो सके तो गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए। 

वैशाख मास में स्नान का महत्व :-
कार्तिक मास में एक हजार बार यदि गंगा स्नान करें और माघ मास में सौ बार स्नान करें, वैशाख मास में नर्मदा में करोड़ बार स्नान करें तो उन स्नानों का जो फल होता है वह फल प्रयाग में कुम्भ के समय पर स्नान करने से प्राप्त होता है। इस वैशाख मास में प्रात: स्नान का विधान है। विशेष रूप से इस अवसर पर पवित्र सरिताओं में स्नान की आज्ञा दी गई है। इस सम्बन्ध में पद्म पुराण का कथन है कि वैशाख मास में प्रात: स्नान का महत्त्व अश्वमेध यज्ञ के समान है।

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