धर्मातरण मामला : ऑनलाइन गेम के जरिए खेला जा रहा बड़ा खेल, फेक आईडी से बरगला रहे

महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों में दबिश दे रही हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-08 03:40 GMT
Conversion case: Conversion was done by trapping minors through three different steps in the game
डिजिटल डेस्क, गाजियाबाद। गाजियाबाद में हुए धर्मातरण के मामले में पुलिस और देश की अलग-अलग एजेंसियां लगातार जांच में जुटी हुई हैं। एक ओर जहां पकड़े गए मौलवी से पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य पुलिस के सामने आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खान शाहनवाज ऑफ बद्दो को पकड़ने के लिए पुलिस की कई टीमें महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों में दबिश दे रही हैं।

पुलिस की अब तक हुई जांच में यह पता चला है कि ऑनलाइन गेमिंग एप के जरिए जब छात्र इसमें लॉगिन कर लेते थे, तो उसके बाद तीन अलग-अलग स्टेप होते थे, जिनके जरिए छात्रों को बरगलाया जाता था और उनका धर्मातरण कराया जाता था। फिलहाल देश के अलग अलग हिस्सों से अभी तक 4 नाबालिगों के धर्मातरण की सूचना गाजियाबाद पुलिस को मिली है, जिनमें एक फरीदाबाद एक चंडीगढ़ और दो लड़के गाजियाबाद से हैं। लेकिन यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है, क्योंकि कई अन्य राज्यों से गाजियाबाद पुलिस को लगातार इनपुट मिल रहे हैं कि कई जगहों पर बड़े पैमाने पर धर्मातरण कराया गया है।

किस गेम से और कैसे हुआ ये धर्मातरण का खेल :

नाबालिग लड़कों को ऑनलाइन गेम के जरिए उनका ब्रेनवाश किया गया, फिर उन्हें उकसाया गया कि वह इस्लाम धर्म कबूल करें। पुलिस के मुताबिक, उसने अब तक चार ऐसे नाबालिग लड़कों की पहचान की है, जिन्हें ऑनलाइन गेम के जरिए इस्लाम धर्म कबूल करवाया गया है। गाजियाबाद के जिन दो नाबालिग लड़कों को इस्लाम धर्म कबूल करवाया गया है उनमें एक जैन धर्म का था और एक हिंदू धर्म का था। इस ऑनलाइन गेम का नाम है फोर्टनाइट जिसे एक ऐप एक गेम कंपनी ने जो अमेरिका की है, ने इसे 2017 में लांच किया था।

यह गेम पब्जी की तरह ही चलता है। इसमें यूजर एक वर्चुअल आईलैंड पर होता है। इस गेम में कई ऐसे हथियार होते हैं, जिनकी मदद से उसे अपने दुश्मनों को खत्म करके गेम को खत्म करना होता है। इस गेम के पहले स्टेप में जब यूजर रजिस्ट्रेशन कर लेता है तो उसके बाद वह गेम खेलने लगता है, गेम में उसका कई लोगों के साथ ग्रुप बन जाता है और वह अक्सर उनके साथ ही इस गेम को खेलता है, खेलते समय यूजर को यह नहीं पता होता कि उसके साथ जिन लड़कों का ग्रुप बना है उनकी आईडी फेक है या सही है। वह आपस आपस में बातें करने लगते हैं और एक दूसरे से चैट भी होती है। धीरे-धीरे फेक आईडी के लोग गेम के जरिए यूजर को फंसाते हैं और उसको कहते हैं कि अगर गेम जीतना है तो फिर कुछ आयते पढ़नी होंगी और नमाज अता करनी होगी। इसके साथ यूजर को यह भी कहा जाता है कि खुदा में बहुत ताकत है, वह गेम क्या जीवन की हर मुश्किल को दूर कर देगा।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, पहले स्टेप में गैंग ऐसे लड़कों को टारगेट कर लेता है और फिर उनके साथ ग्रुप बना कर गेम खेलता है। ये लोग अन्य धर्मो के नाम से आईडी बनाकर मोबाइल-कम्प्यूटर पर फोर्ट नाइट एप पर गेम्स खेलते हैं। अगर कुछ लड़के गेम हार जाते थे तो उन्हें कुरान की आयत पढ़वाई जाती थी और फिर उन्हें गेम जिताकर कुरान पर भरोसा दिलाया जाता था। इसके बाद सेकेंड स्टेप में जब यूजर काफी ज्यादा समय इस गेम में बिताने लगता है और बनाए गए ग्रुप के लोगों पर उसे भरोसा हो जाता है तब एंट्री एक दूसरे ऐप की होती है। डिस्कोर्ड ऐप के द्वारा मुस्लिम लड़के हिंदू नाम की यूजर आईडी बनाकर हिंदू लड़कों से चैटिंग करते थे। उन्हें इस्लामिक रीति-रिवाज अपनाने के लिए बहलाते थे। यहां पर अब असली काम शुरू हो चुका होता है, क्योंकि गेम के जरिए दोस्ती हो जाने के बाद बातचीत करने और ब्रेनवाश करने में काफी सहूलियत मिलना शुरू हो जाती है।

इसके बाद तीसरा और आखिरी स्टेज शुरू होता है, यह से यूसेज है जिसमें प्रतिबंधित डॉ. जाकिर नाइक के वीडियो यूजर को प्रोवाइड कराए जाते हैं, तब तक लगभग 100 प्रतिशत तक यूजर का ब्रेनवाश करने में इस ज्ञान को कामयाबी मिल चुकी होती है और उसे कई बार वह नमाज अता करवा चुके होते हैं। इस स्टेप में प्रतिबंधित इस्लामिक प्रवक्ता जाकिर नाइक के कुछ वीडियो स्पीच सुनाकर इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। साथ ही वे इस्लामिक कल्चर और रीति-रिवाज के संबंध में सारी जानकारी उपलब्ध कराते थे। पुलिस ने इस मामले में एक मौलाना को गिरफ्तार किया है, जो गाजियाबाद की जामा मस्जिद का मौलाना हैं। वह मस्जिद की 15 सदस्यीय कमेटी का मेंबर भी हैं। उनके दूसरे साथी कान शहनवाज की तलाश जोर-शोर से चल रही है।

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