यवतमाल: 95 गांवों के नागरिकों ने किया निम्न पैनगंगा प्रकल्प का विरोध
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डिजिटल डेस्क, यवतमाल. निम्न पैनगंगा परियोजना पर दोबारा विचार किए जाए क्योंकि विशेष जांच समिति (एसआईटी) चितले समिति ने इस परियोजना पर आपत्ति उठाई है। ऐसे में इस परियोजना को गति देना ठीक नहीं है। यही नहीं समिति ने इस आशय की रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार हिटलरशाही तरीके से यह परियोजना बनाने का प्रयास कर रही है। गांधी जयंती पर ठीया आंदोलन करते हुए यह आरोप धरण विरोधी संघर्ष समिति ने लगाया है। इस दौरान कहा गया कि विदर्भ और मराठवाड़ा के इस निम्न पैनगंगा परियोजना में 95 गांव बाधित हो रहे हैं। इन गांवों को इस परियोजना के पानी में न डुबाेएं, यह बोलकर विरोध किया जा रहा है। यह समिति गत 25 वर्ष से इसका विरोध कर रही है। सरकार ने इस बांध की दीवार के टेंडर निकाले हैं। विस्थापित होनेवाले 95 में से पहले चरण के 18 गांवों को पुनर्वास का नोटिस दिया है। अब काम में गति आ जाने से डूबित क्षेत्र के लोग सरकार के विरोध असंतोष जता रहे हैं। गांधी जयंती पर अहिंसा और शांति के रास्ते से यह एकदिवसीय धरना आंदोलन कर इस परियोजना के बारे में सरकार से पुनर्विचार करने की मांग समिति ने की है। सावली सदोबा के नायब तहसीलदार कार्यालय के सामने और माहुर तहसील के माहुर तहसील कार्यालय के सामने धरण विरोधी संघर्ष समिति ने एकदिवसीय धरना आंदोलन किया। इस आंदोलन में डूबित क्षेत्र के किसान बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस आंदोलन को आर्णी के नायब तहसीलदार उदय तुंडलवार, सावली सदोबा के थानेदार संदीप बारिंगे के माध्यम से यह ज्ञापन राज्य के मुख्यमंत्री को भेजा गया है। इस समय समिति अध्यक्ष प्रह्लाद पाटील जगताप, प्रल्हाद गावंडे, रामकृष्ण राऊत, विजय राऊत, शेषराव मुनेश्वर, अहमद तंवर, मुबारक तंवर, भास्कर जगताप, संदीप गाढवे, माधव मडावी, मंगेश सोयाम, अमित ठाकरे, नुनेश आडे, काशिराम घोडाम, पमोद कचरे, नामदेव पेंदोर, उत्तम भेंडे, विजय खोडे, गजानन खोडे, बाबाराव मेश्राम, गणपत जगताप, गजानन खरात, वाजीद खान, गुलाब मेश्राम, त्रंबक पाटील, भुजंग जाधव, माणिक कोवे, शांतिलाल तोवर, निलेश खडसे, गणेश मासाल, किसन नाईक, समेत डूबित क्षेत्र के किसान, नागरिक बडी संख्या में उपस्थित थे।