जलकर खाक हुई बस दूसरे दिन पीयूसी निकालने पहुंची!

  • हादसा 30 जून को, पीयूसी निकाली गई 1 जुलाई को
  • विदर्भ ट्रैवल्स की बस में हुई 25 यात्रियों की मृत्यु का मामला

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-05 13:45 GMT

डिजिटल डेस्क, यवतमाल. जिले के मालिक, संचालक दरणे परिवार की विदर्भ ट्रैवल्स बस का हादसा 30 जून के तड़के 1.30 बजे हुआ था। इसमें वह जलकर खाक हो गई थी। इस हादसे में 25 यात्रियों की मौत हो गई थी। उसमें 20 युवा, 2 प्रौढ़, 3 बच्चे शामिल थे। पूरी तरह जलकर खाक हुई इस बस का पीयूसी 1 जुलाई को बनाया गया। कागजों में यह घोटाला होने के कारण अब संदेह जताया जा रहा है कि घटना के मृतकों के परिजनों को न्याय मिलेगा या नहीं। क्योंकि हादसा 30 जून का है और 1 जुलाई को इस बस क्रमांक एमएच 29 बीई 1819 की पीयूसी निकाली गई है। यदि पीयूसी नहीं थी तो 10 मार्च 2023 को उसे नया फिटनेस प्रमाणपत्र कैसे मिला जैसे कई सवालों के जवाब नहीं मिले हैं। 30 जून को जब इस बस की दुर्घटना हुई तब यह पीयूसी वैध नहीं थी। मगर 3 जुलाई को परिवहन के एमएप पर यह पीयूसी आगामी एक वर्ष के लिए वैध बताई जा रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या जलकर खाक हुई बस को पीयूसी केंद्र पर लाया गया और पीयूसी निकाली गई। नियमानुसार पीयूसी पाने के लिए वाहन का पीयूसी केंद्र पर होना जरूरी होता है। इसके बिना पीयूसी का निकल पाना असंभव है। नियम के अनुसार वाहन, चालक का लाइसेंस, आरसी बुक, बीमा के कागजाद आदि रहने के बाद ही पीयूसी मिलती है। 

मामला गंभीर है

ज्ञानेश्वर हिरोडे, उपप्रादेशिक परिवहन अधिकारी के मुताबिक दुर्घटना के बाद इसकी पीयूसी मार्च 2023 तक खत्म होने की बात जांच में सामने आई है। मगर 1 जुलाई 2023 को बस की पीयूसी यवतमाल के किस केंद्र से दी गई है, उसकी जांच की जाएगी। यह मामला गंभीर है। उस केंद्र की मंजूरी रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी। इस मामले की जांच करने के पश्चात दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। 

पीयूसी निकालनेवाले के खिलाफ कार्रवाई करें

विरेंद्र दरणे, संचालक विदर्भ ट्रैवल्स के मुताबिक जिस व्यक्ति ने भी यह पीयूसी षडयंत्र के तहत निकाली है, उसके खिलाफ उपप्रादेशिक परिवहन अधिकारी कार्रवाई करें, क्योंकि इस घटना के बाद मृतक के परिजन और जिला प्रशासन से ही बात हो रही थी। उनके द्वारा मांगी गई जानकारी दी जा रही थी। हम उसी में व्यस्त थे। यह किसने किया उसको ढूंढ़कर कड़ी सजा देने की मांग करते हैं।


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