यवतमाल: आश्रमशाला के 25 विद्यार्थियों को हुआ फूड पॉयजन, भोजन के एक घंटे बाद हुए बीमार
- 25 विद्यार्थियों को हुआ फूड पॉयजन
- आश्रमशाला का मामला
- भोजन के एक घंटे बाद हुए बीमार, अस्पताल भर्ती
डिजिटल डेस्क, घाटंजी (यवतमाल)। आश्रमशाला के 25 विद्यार्थियों को फूड पॉयजन हो गया। भोजन खाने के एक घंटे बाद ही बीमार हो गए। सोमवार सुबह 11 बजे विद्यार्थियों को उल्टी दस्त की शिकायत की। विद्यार्थियों ने सुबह 10 बजे खाना खाया था। खाना खाने के बाद कुछ को बुखार भी आ गया। लक्षण दिखने के बाद बच्चों को पहले तहसील के रामपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जहां पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण उन्हें घाटंजी उपजिला ग्रामीण अस्पताल दाखिल किया गया।
12 बच्चों की हालत ज्यादा खराब होने पर उन्हें यवतमाल मेडीकल कॉलेज- जिला अस्पताल दाखिल कराया गया। जैसे ही दोपहर को अभिभावकों को जानकारी मिली सभी आश्रमशाला पहुंच गए। बच्चों को घाटंजी अस्पताल लाया गया था। अभिभावक भी अस्पताल पहुंचे। बच्चों की हालत बिगड़ती देख चिकित्सकों ने जांच के बाद 12 को जिला अस्पताल भेजा।
युगनिर्माण आश्रमशाला का मामला बताया गया है। स्कूल सत्यसाईं बहुउद्देशीय ग्रामीण विकास संस्था दत्तापूर संचालित करता है। यह आश्रमशाला प्रदेश कांग्रेस के महासचिव देवानंद पवार के भाई और शिक्षक भारती के पदाधिकारी साहेबराव पवार का बताई गई है।
जिन बच्चों को यवतमाल लाया गया, उनमें अक्षरा पुसनाके, नमन राठोड (13), दुर्गा बावणे (15), मंथन गायकवाड, पुर्वी राठोड (11), श्रेया वसंत राठोड (13), दिक्षा भवरे (16), शुभांगी चव्हाण (13) और कृष्णा जाधव (16) का नाम शामिल है। अभिभावकों ने इस घटना के लिए स्कूल संचालकों को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही में आश्रमशालाओं की जांच करनेवाले टीम को भी जिम्मेदार बताया।
यहां अधिकांश बच्चे बंजारा समाज के हैं। संचालक भी बंजारा समाज के ही है। इसलिए अपने समाज का स्कूल होने के चलते अभिभावकों ने बच्चों को वहां डाला था। सभी छात्रों की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। बाकी 13 बच्चों पर घाटंजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
भोजन से भी हो सकती है विषबाधा
डॉ.अक्षय ठमके, स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक यह विषबाधा भोजन करने से हुई या कडी धुप से हुई यह बताना भी मुश्किल है। मगर भोजन के बाद ही यह समस्या आने की शिकायते छात्रों ने की है।
विषबाधा नहीं हुई
साहेबराव पवार, संचालक युगनिर्माण आश्रमशाला का कहना है कि स्कूल संचालक ने कहा कि बच्चों की सभी जांच करने के बाद विषबाधा नहीं होने की रिपोर्ट स्थानीय चिकित्सक ने दी गई है। इसमें अधिकांश बच्चों की हालत ठीक होने से उन्हें छुट्टी मिली है। सिर्फ 2 छात्राओं को अस्वस्थ्य लग रहा था।
स्कूलों की जांच नहीं होने से ऐसी घटनाएं
जिन छात्रों को विषबाधा हुई है उसमें अधिकांश के अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। अगर इन आश्रमशालाओ की जांच समय समय पर की जाती, तो वे भी विषबाधा होने जैसी घटना पर अंकुश लगाने का प्रयास करते, लेकिन जांच नहीं होने से कई अधिकारी कर्मचारी उनकी मर्जी के अनुसार काम करते हैं। जिससे छात्रों को इस प्रकार की दिक्कत होती है।