सोनोग्राफी के लिए 27 दिन की वेटिंग: मेडिकल कॉलेज में सुविधा नहीं, अनूपपुर-उमरिया जिले का भी लोड
- सोनोग्राफी के लिए मरीज निजी सेंटर पर पैसे खर्च करने विवश हैं।
- जिला अस्पताल में ओपीडी में इलाज के लिए पंजीयन में लंबी कतार लगती है।
- सोनोग्राफी की सुविधा सरकारी अस्पताल में नहीं होने से सभी मरीज जिला अस्पताल आते हैं।
डिजिटल डेस्क,शहडोल। इलाज के दौरान मरीज को सोनोग्राफी की जरूरत पड़ जाए तो जिला अस्पताल में 27 दिन की वेटिंग चल रही है। 3 सितंबर को मरीज सोनोग्राफी करवाने पहुंचे तो उन्हें एक अक्टूबर की तारीख दी गई। जाहिर है इलाज के लिए कोई भी मरीज इतने दिन कैसे इंतजार करेंगे।
इसका नुकसान यह हो रहा है कि सोनोग्राफी के लिए मरीज निजी सेंटर पर पैसे खर्च करने विवश हैं। कई बार सोनोग्राफी के लिए निजी सेंटर में जमा की गई राशि जरूरतमंद परिवारों के लिए आर्थिक बोझ तक बन जा रही है।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. जीएस परिहार बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज में सोनोग्राफी की व्यवस्था नहीं है, इसके अलावा उमरिया और अनूपपुर जिले में कोतमा तक सोनोग्राफी की सुविधा सरकारी अस्पताल में नहीं होने से सभी मरीज जिला अस्पताल आते हैं।
इस कारण यहां लोड अधिक है और वेटिंग बढ़ती जा रही है। सोनोग्राफी को लेकर हालात यह है कि जिला अस्पताल में मशीन तो दो हैं, पर सोनोग्राफी करने के लिए एक ही रेडियोलॉजिस्ट डॉ. प्रजापति हैं। दिनभर में वे 30 से 35 सोनोग्राफी ही कर पाते हैं।
इसमें गर्भवर्ती माताओं को पहले क्रम में रखना होता है। यहां प्रतिदिन 50 से ज्यादा मरीज सोनोग्राफी करवाने के लिए आते हैं, इसलिए वेटिंग समय लगातार बढ़ रहा है।
ओपीडी पंजीयन का ऑनलाइन सिस्टम फेल
जिला अस्पताल में ओपीडी में इलाज के लिए पंजीयन में लंबी कतार लगती है। कुछ माह पूर्व जिला अस्पताल में जोर-शोर से बिना कतार पंजीयन की व्यवस्था की गई। लोगों को बताया कि आभा में स्कैन कर टोकन प्राप्त करें और बिना कतार में लगे पर्ची कटवाएं।
जानकर ताज्जुब होगा जिला अस्पताल में यह व्यवस्था भी ठप हो चुकी है। मरीजों को कतार में ही लगकर पर्ची कटवानी पड़ रही है। जबकि इस सुविधा के लिए जिला अस्पताल में भारी-भरकम राशि खर्च की गई थी।
शाम की ओपीडी दिखावे तक सीमित
जिला अस्पताल में अव्यवस्था का आलम यह है कि शाम की ओपीडी दिखावे तक सीमित होकर रह गया है। यहां सोमवार शाम इलाज को पहुंचे एक मरीज ने बताया कि शाम 4 से 5 बजे के बीच ओपीडी में डॉक्टरों के 7 चेंबर में सभी खाली रहे।