भास्कर अभियान: हर माह चार सौ यूनिट से ज्यादा रक्त की डिमांड

  • सिकल सेल बीमारी से पीढित मरीजों के लिए जरूरी है कि ब्लड बैंक में न हो रक्त की कमी
  • सिकल सेल एनीमिया यह एक अनुवांशिक रोग है
  • सिकल सेल की पहचान विशेष रक्त जांच से की जा सकती है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-11 13:05 GMT

डिजिटल डेस्क,शहडोल। सिकल सेल मरीजों को हर माह चार सौ यूनिट से ज्यादा रक्त की जरूरत पड़ रही है। रक्त यह ऐसी संख्या है जिसमें मरीज के परिजन बदले में खून नहीं देते हैं।

ऐसे में कई बार सिकलसेल के मरीजों के लिए रक्त की कमी पड़ जाती है। समस्या न हो इसके लिए जरूरी है ज्यादा से ज्यादा रक्तदान। आदिवासी अंचल में सिकलसेल मरीजों की संख्या बढऩे के साथ ही रक्त की डिमांड भी बढ़ रही है। इसकी पूर्ति के लिए लोगों में रक्तदान को लेकर जागरूकता की दरकार है।

ऐसे जानिए रक्त की डिमांड

माह फ्री इश्यू सिकल सेल थैलेसेमिया

अप्रैल 327 103 46

मई 464 84 88

जून 438 102 70

जुलाई 389 118 46

अगस्त 424 125 31

ज्यादा से ज्यादा कैंप लगे

ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. सुधा नामदेव ने बताया कि सिकलसेल व थैलेसेमिया मरीजों के लिए रक्त की डिमांड पूरी करना हमेशा से ही चुनौती रहा है। अच्छी बात यह है कि यहां के लोग रक्तदान के लिए जागरूक हैं पर जिस तरह से डिमांड बढ़ रही है उसके लिए ज्यादा से ज्यादा रक्तदान जरुरी है।

विभागवार लगवाएंगे कैंप

कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने बताया कि सिकलसेल मरीज को रक्त की कमी न हो इसके लिए विभागवार कैंप लगवाएंगे।

यह रोग कैसे होता है 

यह रोग अनुवांशिक आधारित है | हर व्यक्ति को अपने माता-पिता के माध्यम से एक जीन मिलता है | अर्थात हर व्यक्ति में दो जीन होते हैं एक माता के द्वारा जबकि दूसरा पिता के द्वारा प्राप्त होता है | इस जीन में सामान्य प्रकार का Hb-A हीमोग्लोबिन हो सकता है अथवा एक में सामान्य और दूसरे में असामान्य Hb-S प्रकार का हीमोग्लोबिन हो सकता है, अथवा दोनों जीन मे असामान्य Hb-S प्रकार के हीमोग्लोबिन हो सकते हैं |

असामान्य प्रकार के हीमोग्लोबिन वाली लाल रक्त कोशिका को सिकल सेल कहा जाता है | इस प्रकार के जीन पाने वाले व्यक्ति भविष्य में अपने बच्चों को वंशानुगत रूप से इसमें से किसी भी प्रकार के जीन दे सकते है जो सामान्य Hb-A या असामान्य Hb-S हो सकते हैं |

सिकल सेल एनीमिया दो प्रकार का होता है पहले प्रकार को अंग्रेजी में सिकल वाहक कहा जाता है | जिसमे असामान्य हीमोग्लोबिन Hb-S का प्रमाण 50% से कम होता है तथा सामान्य Hb-A का प्रमाण 50% से ज्यादा होता है |

जबकि दूसरे प्रकार को सिकल रोगी वाला व्यक्ति कहते है जिसमे असामान्य हीमोग्लोबिन Hb-S का प्रमाण 50% से अधिक लगभग 80% होता है तथा सामान्य हीमोग्लोबिन उपस्थित ही नहीं होता है |

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