शहडोल: ग्रामीण सडक़ों पर जगह-जगह गड्ढे, बनी रहती है हादसे की आशंका

  • गांव की खस्ताहाल सडक़ों से रफ्तार पर ब्रेक
  • आवागमन के दौरान दुघर्टना की भी आशंका बनी रहती है।
  • दो माह में ही गड्ढे हो जाएं तो निर्माण के दौरान गुणवत्ता मानकों की अनदेखी समझी जा सकती है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-27 13:36 GMT

डिजिटल डेस्क,शहडोल। गांव को शहर से जोडऩे वाली जिले की अधिकांश सडक़ों पर गड्ढे न सिर्फ वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगा रहे हैं बल्कि आवागमन के दौरान दुघर्टना की भी आशंका बनी रहती है।

ब्यौहारी से बनसुकली रोड में ब्यौहारी से तीन किलोमीटर की दूरी पर ही मैरटोला के समीप सडक़ पर बड़े-बड़े गड्ढे निर्माण के दौरान गुणवत्ता मानकों की पोल खोल रहे हैं। बतौर स्थानीय ग्रामीण ब्यौहारी से बनसुकली 55 किलोमीटर सडक़ पर निर्माण के कुछ माह बाद भी गड्ढे हो गए हैं तो इस पूरे निर्माण की भी जांच होनी चाहिए।

जिला पंचायत सदस्य पुष्पेंद्र पटेल बताते हैं कि खराब सडक़ की जानकारी एमपीआरडीसी डीएम को देने के बाद गड्ढे भरे गए तो कुछ ही दिन में उसी स्थान पर फिर से गड्ढा हो गया।

गांव को जोडऩे वाली ये सडक़ें भी खराब

>> खेतौली से नेशनल हाइवे-43 पर मेडिकल कॉलेज को जोडऩे वाली 7 किलोमीटर सडक़ भर्री और पोंगरी सहित अन्य स्थान पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं। जिला पंचायत सदस्य राजेश बैगा के अनुसार लालपुर से छादा चार किलोमीटर की सडक़ और नरवार तिराहा से कुंवरसेझा पहुंच मार्ग पर भी गड्ढों के कारण वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

>> ब्यौहारी विकासखंड अंतर्गत समधिन नदी से धरी नंबर-2 तक सडक़ निर्माण के दौरान ही गड्ढे हो गए। जिला पंचायत सदस्य दुर्गेश तिवारी के अनुसार सडक़ बनने के दो माह में ही गड्ढे हो जाएं तो निर्माण के दौरान गुणवत्ता मानकों की अनदेखी समझी जा सकती है। इसी प्रकार बाणसागर मेन रोड से चचाई होते हुए बिजुरिहा 7 किलोमीटर सडक़ के किनारे वृक्षों की छंटाई नहीं होने से वाहन चालक हादसे का शिकार हो रहे हैं।

>> मड़वा से अमरहा और धमनी से सिलपरी के बीच सडक़ पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं, जिसके मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

4 किलोमीटर सडक़ नहीं बनी खन्नाध के ग्रामीण 10 किलोमीटर चक्कर लगाने विवश

लगभग चार हजार से ज्यादा की आबादी वाले खन्नाध गांव को खैरहा तक जाने के लिए चार किलोमीटर खस्ताहाल सडक़ के कारण छिरहिटी होकर लगभग 10 किलोमीटर चक्कर लगाना पड़ रहा है। इस मार्ग पर पर भी लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी सडक़ पर डामरीकरण नहीं किया गया। जिला पंचायत सदस्य जगन्नाथ मिश्रा का कहना है कि जहां सडक़ों की ज्यादा जरूरत है वहां भी निर्माण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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