शहडोल: जिले में नौनिहालों के लिए प्राथमिक स्तर से ही शिक्षा की स्थिति बदहाल

  • 29 स्कूल भवन विहीन और 284 मरम्मत लायक
  • ग्राम पंचायत बमुरा का कर्रीटोला एवं कंचनपुर का स्कूल उदाहरण हैं।
  • नए भवन एवं जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए प्रशासन के पास बजट ही नहीं है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-06 10:40 GMT

डिजिटल डेस्क,शहडोल। एक ओर लाखों-करोड़ों रुपए की लागत से नए छात्रावासों के साथ बहुमंजलीय आवासीय भवनों का निर्माण हो रहे हैं वहीं जिले में दर्जनों ऐसे शासकीय विद्यालय हैं जिनके पास भवन ही नहीं है। इसके अलावा सैकड़ों स्कूल भवन बैठने लायक नहीं, जिनको मरम्मत की दरकार है।

विभागीय सूत्रों की मानें तो जिले में वर्षों से संचालित 29 ऐसे प्रायमरी-मिडिल स्कूल हैं जिनके पास भवन नहीं हैं तो 284 ऐसे भवन चिन्हित किए गए हैं जिनकी मरम्मत कराया जाना आवश्यक है, यानि बैठने लायक नहीं, फिर भी मजबूरी में जर्जर भवनों में बच्चों को बैठाया जा रहा है।

गौरतलब है कि जिले में प्रायमरी-मिडिल मिलाकर 1600 से अधिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिनमें 20 हजार से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

खुले में बैठकर पढ़ते हैं छात्र

जो स्कूल भवन विहीन हैं उनकी कक्षाएं वैकल्पिक तौर पर आंगनबाड़ी अथवा अन्य शासकीय भवनों में संचालित कराए जा रहे हैं। जिन स्कूलों के भवन मरम्मत लायक हैं वहां की कक्षाएं बाहर मैदान में लगती हैं।

ग्राम पंचायत बमुरा का कर्रीटोला एवं कंचनपुर का स्कूल उदाहरण हैं। कर्रीटोला का भवन गिरने की स्थिति में है, वहीं कंचनपुर में कमरों की कमी के कारण बच्चों को बाहर बैठाया जाता है। बारिश के दिनों में कक्षाएं लग ही नहीं पातीं।

20 साल में ही हो गए खंडहर

जिले में कई ऐसे विद्यालय भवन भी हैं जो 20 साल में ही जर्जर हो गए। ऐसे में आरोप लगना स्वाभाविक है कि निर्माण में हद से ज्यादा भ्रष्टाचार किया गया। लाखों की लागत से बने भवन यदि दो दशक में ही गिरने की स्थिति में पहुंच जाएं तो इसके पीछे विभागीय तकनीकी खामी ही कहा जाएगा। अधिकतर स्कूल भवनों का निर्माण जिला शिक्षा केंद्र एवं पंचायतों द्वारा ही निर्मित कराए गए हैं, जिनके द्वारा अनियमितता बरती गईं।

पंचायतों को सौंपी जिम्मेदारी

नए भवन एवं जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए प्रशासन के पास बजट ही नहीं है। जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा कई बार पत्राचार किया गया, यहां तक कि स्टीमेट के साथ डीएमएफ मद का सुझाव दिया गया लेकिन राशि उपलब्ध नहीं कराई गई।

जबकि इस मद से पुल, पुलिया और सडक़ आदि के लिए करोड़ों की मंजूरी दी जा रही है। अब संबंधित ग्राम पंचायतों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे 15वें वित्त की राशि से स्कूलों की मरम्मत कराएं।

भवन विहीन स्कूलों में नए भवन तथा मरम्मत योग्य स्कूलों को चिन्हित कर उन्हें दुरुस्त किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिला पंचायत सीईओ के निर्देश पर पंचायतों को आदेश जारी किए जा रहे हैं।

अमरनाथ सिंह, डीपीसी शहडोल

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