Shahdol News: चल रहे ‘स्वच्छता ही सेवा अभियान’ के बीच शहर में जगह-जगह लगे कचरों के ढेर

  • आबादी सवा लाख, 230 कर्मचारी, कुछ अप्सेंट, कई की ड्यूटी बंगलों में, कैसे सुधरे सफाई व्यवस्था
  • कर्मचारियों की कमी शहर को स्वच्छ बनाने में आड़े आ रही है।
  • नगरपालिका सूत्रों की मानें तो काम बढ़ता जा रहा है लेकिन संसाधन व कर्मचारी सीमित हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-19 10:11 GMT

Shahdol News: देश व्यापी स्वच्छता ही सेवा अभियान के बीच संभागीय मुख्यालय में जगह-जगह पसरी गंदगी व्यवस्था का मुंह चिढ़ा रही है। यह पहली बार नहीं है जब स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा हो, हर बार की तरह इस बार भी अभियान नगरपालिका के सफाई कर्मचारियों के ऊपर आ टिका है।

लेकिन कर्मचारियों की कमी शहर को स्वच्छ बनाने में आड़े आ रही है। मौजूदा समय पर नगरपालिका में 230 से अधिक मस्टर व 28 नियमित सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें से 20-25 कर्मचारी प्रतिदिन अवकाश व अप्सेंट रहते हैं और इतने ही कर्मचारी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के बंगलों मेंं ड्यूटी बजाते हैं। ऐसे में सवा लाख की आबादी वाले शहर में सफाई व्यवस्था कैसे सुधरेगी अंदाजा लगाया जा सकता है।

जरूरत के अनुरूप संसाधन की कमी

गौरतलब है कि संभाग मुख्यालय बनने के बाद शहर की आबादी में इजाफा के साथ क्षेत्रफल में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में केवल साफ-सफाई के लिए 100 से अधिक कर्मचारियों और संसाधन की और आवश्यकता है। मौजूदा समय पर नगरपालिका के पास घर-घर कचरा संग्रहण के लिए 22 छोटे वाहन, उठाव के लिए 9 ट्रेक्टर, दो डंपर व दो जेसीबी उपलब्ध हैं। ऐसे में व्यवस्था बनाए रखने के लिए इन संसाधनों में वृद्धि की आवश्यकता महसूस हो रही है।

काम बढ़ा, कर्मचारी सीमित

नगरपालिका सूत्रों की मानें तो काम बढ़ता जा रहा है लेकिन संसाधन व कर्मचारी सीमित हैं। जागरुकता अभियान के अलावा जब भी कोई आयोजन या कार्यक्रम होते हैं तो इन्हीं कर्मचारियों की सेवा लेनी पड़ती है। ऐसे में रूटीन के कार्य प्रभावित हो जाते हैं। यहां तक कि शहर से लगे स्थानों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भी सफाई कर्मचारी लगा दिए जाने से शहर की सफाई व्यवस्था प्रभावित होने लगती है।

जनता को भी जागरुक होने की जरूरत

जानकारों का कहना है कि कितने भी जागरुकता अभियान चला दिया जाए जब तब जनता जागरुक नहीं होगी, व्यवस्था सुधरने वाली नहीं। लोगों द्वारा अभी भी कपड़ों की जगह पन्नी का थैला, सिंगल यूज्ड प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। जुलूस व कार्यक्रम के बाद सडक़ों पर पानी के पाउच बिखरे नजर आते हैं। घर-घर कचरा संग्रहण वाहनों के जाने के बाद भी कचरा फेंका जाता है। व्यापारी वर्ग भी सडक़ पर कचरा फेंकता है। जिसे उठाने में ही कर्मचारियों को लगाना पड़ जाता है।

- सडक़ों की सफाई के लिए मैकेनिज्म स्वीपिंग मशीन का जल्द उपयोग किया जाएगा, ताकि कर्मचारी दूसरे काम में लगाए जा सकें। मौजूदा संसाधन में काम किया जा रहा है। स्वच्छता के लिए नागरिकों को भी आगे आना होगा।

अक्षत बुंदेला, सीएमओ नपा

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