Shahdol News: रजिस्ट्री अनुमति के डेढ़ सौ से ज्यादा मामले कलेक्टर कार्यालय में एक माह से पेंडिंग
- भास्कर पड़ताल : परमिशन के लिए ऑफिस के चक्कर लगाते परेशान आमजन
- समय पर रजिस्ट्री नहीं होने बेटी की शादी से लेकर माता-पिता के इलाज की सता रही चिंता
- रजिस्ट्री से पहले कलेक्टर की अनुमति को लेकर राजस्व अभिभाषक संघ ने मांग रखी थी।
Shahdol News: कलेक्टर कार्यालय में रजिस्ट्री से पहले अनुमति के डेढ़ सौ से ज्यादा मामले एक माह से ज्यादा समय से लंबित हैं। इसका खामियाजा उन जरूरतमंद लोगों को भुगतना पड़ रहा है जो जरूरी काम पडऩे पर जमीन बेचते हैं। ऐसे में समय पर रजिस्ट्री की अनुमति नहीं मिलने से उनके काम पर भी असर पड़ता है।
रजिस्ट्री के लिए अनुमति के कई आवेदक ऐसे भी हैं, जो बेटी की शादी से लेकर माता-पिता के इलाज के लिए जमीन बेच रहे हैं। ऐसे में समय पर रजिस्ट्री के लिए कलेक्टर कार्यालय से अनुमति नहीं मिलने के कारण आर्थिक परेशारी से जूझ रहे हैं। रजिस्ट्री का परमिशन प्राप्त करने के लिए कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगाते परेशान हैं।
इन नियम के तहत रजिस्ट्री के लिए अनुमति जरूरी- भारत का राजपत्र अधिसूचना प्रकाशित दिनांक 20 फरवरी 2003 के अनुसार तत्कालीन शहडोल जिला अंतर्गत तहसील पुष्पराजगढ़, अनूपपुर, जैतहरी, कोतमा, सोहागपुर, जयसिंहनगर और पाली को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है।
इस अधिसूचना के परिपेक्ष्य में कमिश्नर शहडोल द्वारा 3 जून 2024 को जारी आदेश में शहडोल जिले के सोहागपुर, जयसिंहनगर और जैतपुर तहसील, अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़, जैतहरी, अनूपपुर और कोतमा व उमरिया जिला अंतर्गत पाली तहसील शामिल हैं।
इन तहसीलों में अधिसूचित क्षेत्र होने से मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 165 (6) प्रभावशील होने से अदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण संभाग शहडोल अंतर्गत नगरीय क्षेत्र एवं नगरीय क्षेत्र से लगे हुए विशिष्ट ग्रामों में बिना कलेक्टर के अनुमति के भू-खंडो का विक्रय नहीं किया जा सकता है।
राजस्व अभिभाषक संघ ने रखी थी मांग-
रजिस्ट्री से पहले कलेक्टर की अनुमति को लेकर राजस्व अभिभाषक संघ ने मांग रखी थी। बताया था कि अनुमति की प्रक्रिया संभाग में 2003 से लागू है, लेकिन हाल के कुछ माह में शिथिल होने से अवैध प्लाटिंग के मामले में बढ़ोतरी हुई। गलत कब्जा दर्शाकर आदिवासियों की जमीन पर कब्जे भी बढ़े।
ज्ञापन में कहा गया था कि शहडोल संभाग में अवैध रूप से छोटे-छोटे आवासीय भूखंडो को कृषि भूमि बताकर विक्रय पंजीयन कराया जा रहा है। परिणाम स्वरूप शहडोल में अवैध कॉलोनियों की संख्या में इजाफा हुआ। यहां रहने वाले लोगों को बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ता है।
रजिस्ट्री के लिए अनुमति के जो भी आवेदन आए हैं, उनकी जांच करवाई जा रही है। जांच रिपोर्ट आते ही अनुमति दी जा रही है। हमने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि रजिस्ट्री अनुमति संबंधित जो भी आवेदन आ रहे हैं तो उनकी जांच जल्द पूरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इसके लिए लोगों को परेशानी नहीं होगी।
डॉ. केदार सिंह, कलेक्टर शहडोल