मौसम की मार: जिला अस्पताल आने वाले मरीजों में सर्वाधिक ग्रामीण क्षेत्र के
- 8 दिन में बुखार, उल्टी-दस्त के 2 हजार मरीज
- जिला अस्पताल में आठ दिन में 457 बच्चे पहुंचे, इनमें अधिकांश बच्चे पीलिया से पीडि़त रहे।
- समय पर इलाज नहीं मिलने से पीलिया जैसी बीमारी भी जानलेवा साबित हो रही है।
डिजिटल डेस्क,शहडोल। जिला अस्पताल में बीते 8 दिन के दौरान 4 हजार 658 मरीज इलाज के लिए पहुंचे तो इनमें से बुखार, उल्टी-दस्त व पेट दर्द के मरीजों की संख्या 1 हजार 940 रही। मौसम की मार का असर बच्चों पर ज्यादा पड़ रहा है।
आठ दिन में 457 बच्चे जिला अस्पताल में पहुंचे इनमें से अधिकांश में पीलिया व फ्लू के लक्षण पाए गए। डॉक्टर बताते हैं कि बारिश के मौसम में आसपास का पानी साफ नहीं होने के कारण लोग ज्यादा बीमार पड़ रहे हैं। कई मामले ऐसे भी सामने आ रहे हैं, जिनमें समय पर इलाज नहीं मिलने से पीलिया जैसी बीमारी भी जानलेवा साबित हो रही है।
जिला अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की कतार
तस्वीर बुधवार दोपहर 12.10 बजे की है। जिला अस्पताल के ओपीडी में पंजीयन के लिए मरीज व परिजनों की कतार शेड से बाहर सडक़ तक आ पहुंची। प्रभावित लोगों में ज्यादातर ग्रामीण अंचल के हैं। गांव में पीने के पानी से लेकर दूसरी सुविधाओं की कमीं के कारण लोग बीमार पड़ रहे हैं।
त्वचा में भी नुकसान-
बारिश के मौसम में त्वचा में नुकसान के मरीज भी सामने आ रहे हैं। जिला अस्पताल में आठ दिन में ऐसे 56 मरीज आए जिन्हे त्वचा में इंफेक्शन की शिकायत थी। इसके साथ ही कैजुल्टी में एक हजार 122 मरीज आए इसमें अधिकांश सडक़ हादसों के साथ ही नदी व अन्य हादसों में पीडि़त रहे।
जिला अस्पताल में आठ दिन में 457 बच्चे पहुंचे, इनमें अधिकांश बच्चे पीलिया से पीडि़त रहे। यहां गायनिक के 359, हड्डी के दो सौ, सर्जरी के 150, ओप्थोफमोलॉजी के 137, डायलिसिस के 115, डेंटल के 58, एसएनसीयू में 55, फीजियोथैरेपी के 5, टीबी के 2 व ईएनटी के एक मरीज भर्ती हुए।
फ्लू का बढ़ रहा प्रभाव, टीका जरूरी
मेडिकल कॉलेज के अस्टिेंट प्रोफेसर डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि फ्लू का प्रभाव बढ़ रहा है। इसके लिए जरूरी है कि समय रहते टीका लगवाएं। ज्वाइंट में दर्द, वायरल और पीलिया का कारण हो सकता है।
लोग ऐसा पानी उपयोग कर रहे हैं, जहां आसपास शौच क्रिया भी होती है। इसका सीधा नुकसान स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। कुछ दिन पहले एक ही परिवार के चार बच्चे पीलिया से पीडि़त पहुंचे तो इनमें से एक 12 साल की बच्ची की मौत तक हो गई। दो बच्चे इलाज के बाद स्वस्थ हुए। ऐसी बीमारी से बचाव के लिए समय पर टीकाकरण आवश्यक है।