मेंटिनेंस की खुली पोल: एक साल में ही उखड़ी मेडिकल कॉलेज रोड
- नपा सीमा से बाहर मार्ग में अंधेरे से परेशानी
- जर्जर हालत के अलावा मेडिकल कॉलेज रोड में शाम होते ही अंधेरा छा जाता है।
- गारंटी पीरियड के पहले ही सडक़ जर्जर हो गई थी।
डिजिटल डेस्क,शहडोल। कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई अमानवीयता की घटना के बाद अस्पतालों व उसके आसपास की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नित नए दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं, वहीं संभागीय मुख्यालय के शासकीय मेडिकल कॉलेज पहुंच मार्ग बदहाली का शिकार है।
मेडिकल कॉलेज पहुंच मार्ग की हालत दयनीय हो चुकी है। जबकि एक वर्ष पहले ही इस रोड का नवीनीकरण हुआ था। मेंटिनेंस के अभाव में यह सडक़ एक वर्ष पूरा होने के पहले ही जगह-जगह से टूट गई है। पटरी भराई नहीं कराए जाने के कारण बरसात में डामर उखड़ चुके हैं। गड्ढों की भरमार के बीच कीचड़ से सडक़ सन चुकी हैं। वहीं शहर की सीमा समाप्त होते ही शाम के बाद रास्ते में अंधेरा छा जाता है।
मेंटिनेंस पर नहीं दिया ध्यान
न्यू बस स्टैंड से मेडिकल कॉलेज के सामने से कुदरी पहुंच मार्ग प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के तहत बनाया गया है। गारंटी पीरियड के पहले ही सडक़ जर्जर हो गई थी। कई बार प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराए जाने के बाद बीते 5-6 महीने पहले ही सडक़ का जीर्णोद्धार कराया गया था। इसके बाद निर्माण एजेंसी मेंटिनेंस कराना भूल गई। जिसके कारण सडक़ खराब हो गई। बरसात के दिनों में उस चलना मुश्किल होता है।
शाम होते ही छा जाता है अंधेरा
जर्जर हालत के अलावा मेडिकल कॉलेज रोड में शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। नगरपालिका की सीमा टाकी नाला तक स्ट्रीट लाइट है, इसके बाद दो किलोमीटर मेडिकल कॉलेज पहुंचने तक के रास्ते में पूरी तरह अंधेरा रहता है।
जिसके कारण मरीजों को लाने-ले जाने में भारी मुश्किलों को सामना करना पड़ता है। रात्रि पाली में ड्यूटी के लिए जाने वालों तथा आने वाले कर्मचारियों को अंधेरे में निकलना पड़ता है। ऐसे में उनके साथ किसी भी प्रकार की घटना घटित होने का अंदेशा बना रहता है।
तो क्या हादसे के बाद चेतेगा प्रशासन
लोगों का कहना है कि सुरक्षा को लेकर तमाम तरह की कवायद चल रही है लेकिन सडक़ की हालत सुधारने एवं रोशनी की व्यवस्था को लेकर कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। क्या कोई बड़ी घटना के बाद ही प्रशासन की नींद खुलेगी। मांग की जा रही है कि दोनों व्यवस्थाओं पर भी ध्यान दिया जाए।