शहडोल: आईजीएनटीयू में हॉस्टल की समस्या से छात्र परेशान

  • 4 हजार से ज्यादा छात्र और हॉस्टल में सीटें महज 1160
  • बालिका के लिए 290 कमरों में 580 सीटें व बालकों के लिए 290 कमरों में 580 सीटें शामिल हैं।
  • छात्रों ने बताया कि आईजीएनटीयू पोडक़ी गांव में संचालित हो रहा है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-17 14:32 GMT

डिजिटल डेस्क,शहडोल। आदिवासी छात्रों के लिए संचालित इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी (आईजीएनटीयू) अमरकंटक में छात्रों की संख्या की तुलना में हॉस्टल में कम सीटों की समस्या धीरे-धीरे विकराल रूप ले रही है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय में अलग-अलग विषय मिलाकर 4 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ाई करते हैं। दूसरी ओर छात्रों के रहने के लिए बालक और बालिका हॉस्टल मिलाकर कुल सीटों की संख्या महज एक हजार 160 ही है। इसमें बालिका के लिए 290 कमरों में 580 सीटें व बालकों के लिए 290 कमरों में 580 सीटें शामिल हैं।

हास्टल में सीटों की संख्या कम होने के कारण आबंटन के समय आए दिन वार्डन से विवाद होना आम बात हो गई है। छात्रों की मांग है कि यहां सीटों की तुलना में हॉस्टल में सीटों की संख्या बढ़ाई जाए। नए निर्माण किए जाएं। ठहरने की व्यवस्था हो जाएगी।

आसपास कमरा मंहगा, छात्र हॉस्टल लेने बनाते हैं दबाव

छात्रों ने बताया कि आईजीएनटीयू पोडक़ी गांव में संचालित हो रहा है। यहां आसपास गांव में भी कमरों का किराया मनमाफिक बढ़ा दिया गया है। एक कमरे का किराया तीन से चार हजार रूपए तक लिया जा रहा है।

चूकि पढ़ाई के लिए आने वाले ज्यादातर छात्र आदिवासी बहुल गांव से आते हैं और आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने के कारण कमरों का किराया दे पाना संभव नहीं होता है। इसलिए छात्रों की मंशा यही होती है कि उन्हे हास्टल में कमरा मिल जाए। और इसी कारण कई बार वार्डन से विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है।

दस साल से समस्या

आईजीएनटीयू में बच्चों के लिए हास्टल की समस्या एक व दो साल नहीं बल्कि द साल से है। यहां छात्रों की संख्या में तुलना में उनके रहवास के लिए इंतजाम नहीं किया गया। इसका खामियाजा अब यहां पढ़ाई करने के लिए आने वाले छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।

कुलपति को परेशानी

हास्टल में कमरे मिलने से लेकर कर्मचारियों के व्यवहार को लेकर बीते दिनों हॉस्टल के कुछ छात्र कुलपति के पास पहुंचे और परेशानी बताई। कुलपति ने छात्रों की समस्या सुनी और निदान का आश्वासन तो दिया पर उन्हे भी पता है कि हास्टल में सीटें कम होने के कारण छात्रों की परेशानी दूर करन पाना मुश्किल है।

एक हॉस्टल और चालू

विश्वविद्यालय के चीफ वार्ड नवीन शर्मा ने बताया कि छात्रों की संख्या ज्यादा होने और हास्टल में सीटें कम होने के बाद कई बार विवाद की स्थिति निर्मित होती है। दीपावली के बाद एक हास्टल और चालू हो जाएगा।इसमें 3 सौ की कैपिसिटी होगी।

Tags:    

Similar News