शहडोल: अतिक्रमण से संकट में शहर के जलस्रोत
- ज्यादातर तालाब के मेढ़ पर अनाधिकृत निर्माण, कार्रवाई के नाम दिखावा
- अतिक्रमण की शिकायत पर राजस्व विभाग द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से मनमानी बढ़ती जा रही है।
- अतिक्रमण की चपेट में आए तालाबों को कैसे अतिक्रमणकारियों की चंगुल से मुक्त किया जाए।
डिजिटल डेस्क,शहडोल। शहर के प्राकृतिक जलस्रोत मुख्यत: तालाब अतिक्रमण के कारण संकट में हैं। यहां मेढ़ से लेकर कैचमेंट एरिया तक अनाधिकृत निर्माण की भरमार है। सुनियोजित तरीके से तालाबों का अस्तित्व समाप्त किया जा रहा है।
जिसका असर भूजल स्तर पर भी पड़ रहा है। शहर का भूजल लगातार नीचे खिसकने से कुएं सूख गए हैं, और कई हैंडपंप में लगातार पाइप बढ़ाकर ही पेयजल की आपूर्ति हो पा रही है। नागरिकों ने बताया कि तालाबों में अतिक्रमण की शिकायत पर राजस्व विभाग द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से मनमानी बढ़ती जा रही है।
मुख्यमंत्री के नमामि गंगे अभियान से उम्मीद- नागरिकों ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा 5 से 16 जून तक नदी, कुआं, तालाब, बावड़ी जैसे जलस्रोतों को साफ रखने और इनके गहरीकरण को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर नमामि गंगे अभियान चलाएगी।
उम्मीद की जा सकती है कि इस अभियान के दौरान जिला प्रशासन के अधिकारी तालाबों पर अतिक्रमण की सुध लेकर तालाबों को संरक्षित करने की दिशा में कुछ ठोस उपाय अपना सकेंगे।
इन स्थानों पर अतिक्रमण के ज्यादा मामले
- घरौला तालाब - पुराना बसस्टैंड के पीछे
- मोहनराम तालाब - जिला जेल के बगल में
- पौनांग तालाब - मुक्तिधाम के समीप
तैयार करवाएंगे रिपोर्ट
कलेक्टर तरुण भटनागर ने बताया कि प्राकृतिक जलस्रोतों के संरक्षण के लिए अभियान के दौरान सभी उपायों पर काम किया जाएगा। इससे पहले इस बात का भी पता लगाएंगे कि शहर में अतिक्रमण की चपेट में आए तालाबों को कैसे अतिक्रमणकारियों की चंगुल से मुक्त किया जाए।