भाजपा तथा कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लडऩे वालों की केंद्रीय सर्वे ने उड़ाई नींद

भाजपा की केन्द्रीय सर्वे की एकीकृत टीम जिले में पहुंच कर विधानसभावार बट जाती है

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-29 09:37 GMT

डिजिटल डेस्क,शहडोल।

विधानसभा चुनाव में तारीखों की घोषणा का समय जैसे-जैसे करीब आ रहा है चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों की चुनौती भी बढ़ती जा रही है। भाजपा और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लडऩे वालों की नींद इन दिनों केंद्रीय सर्वे ने उड़ा रखी है। भाजपा ने जहां जिले की हर विधानसभा सीट पर पृथक केन्द्रीय सर्वे टीम भेज रखी है। कांग्रेस चार अलग-अलग आउट सोर्सिंग एजेंसी से सर्वे करा रही है और फीड बैक कलेक्ट करा रही है। कांग्रेस का लगभग 75 फीसदी र्वे ऑनलाइन हो रहा है जबकि भाजपा पूरा सौ फीसदी सर्वे फील्ड में जा कर कर रही है। विभिन्न स्तरों पर चल रहे इन सर्वे ने दोनों ही प्रमुख दलों के मौजूदा विधायकों सहित टिकट के दावेदारों की भी धडक़नें बढ़ा रखी हैं।

हर शाम दिल्ली भेजनी पड़ रही रिपोर्ट

भाजपा की केन्द्रीय सर्वे की एकीकृत टीम जिले में पहुंच कर विधानसभावार बट जाती है। टीम के सदस्य पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से लेकर गांव-गांव में प्रभावी लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। वर्तमान जनप्रतिनिधियों से लेकर भावी उम्मीदवार और अंचल के युवा चेहरों की भी पड़ताल कर रहे हैं। मतदातओं की मन: स्थिति का भी आकलन कर रहे हैं। दिन भर के फीडबैक को रिपोर्ट के रूप में हर शाम दिल्ली भेज देते हैं। सूत्रों के अनसार, हालिया चल रहे सर्वे के आधार पर ही पार्टी उम्मीदवार का चयन करेगी। इसके चलते कई सिटिंग एमएलए के टिकट कट सकते हैं और कई नये चेहरे सामने आ सकते हैं।

रोज का डाटा संगठन को भेजा जा रहा

कांग्रेस के लिए काम कर रहीं आउट सोर्स कपंनियां ऑनलाइन सर्वे कर रही हैं। वे विधानसभा क्षेत्र में अलग-अलग नंबरों से कॉल कर पिछला चुनाव हारे-जीते प्रत्याशी के बारे में सवाल पूछती हैं, साथ ही चार नाम सामने रख कर लोगों से उनकी पसंद के उम्मीदवार के बारे में पूछ रही हैं। सूत्रों के अनुसार आउट सोर्स कंपनियां दिन भी के सर्वे डाटा को रात में कांग्रेस संगठन के प्रदेश व दिल्ली मुख्यालय को ट्रांसफर कर देती हैं। वहां बेठी टीमें इस सर्वे को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही हैं। बावजूद इसके दावेदारों की दिल्ली व भोपाल की दौड़ जारी है।

भाजपा की रणनीति पड़ सकती है भारी

जिले ही नहीं बल्कि पूरे संभाग और इसके अंतर्गत आने वाली 8 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। 2018 के विपरीत परिणामों का भी पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं पर दबाव है। इस बीच विरोधी पार्टी यानि भाजपा की नई रणनीति ने इसके होश फाख्ता कर रखे हैं। भाजपा के रणनीतिकारों ने कांग्रेस के प्रभावी उम्मीदवारों को पार्टी ज्वाइन करवाने पर तेजी से काम शुरू किया है। रणनीति यह है कि कांग्रेस के पास जिताऊ क्या टक्कर देने वाला उम्मीदवार ही नहीं बचे। ऐसे में अब कांग्रेस पर अपने जिताऊ या टक्कर देने वाले उम्मीदवारों को चुनाव तक पार्टी में बनाए रखने की भी चुनौती आ खड़ी हुई है।

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