शहडोल: कजरी बाघिन को तीन शावकों से अलग कर बीटीआर प्रबंधन ने बाड़े में छोड़ा
विरोध हुआ तो कहा बाघ का रेस्क्यू किया
डिजिटल डेस्क,शहडोल।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (बीटीआर)प्रबंधन ने तीन शावकों की मां कजरी बाघिन को बच्चों से अलग कर बाड़े (इंक्लोजर) में छोड़ दिया। मंगलवार शाम को हुए इस घटनाक्रम का विरोध हुआ तो बीटीआर प्रबंधन ने बाघिन को ही बाघ बता दिया। क्षेत्र संचालक एलएल उइके ने जारी मीडिया रिलीज में बताया कि मचखेता के कक्ष क्रमांक पीएफ-356 में बाघ का रेस्क्यू किया गया है। इस बीच कजरी बाघिन को उसके शावकों से अलग करने का विरोध बुधवार को भी जारी रहा। वन्यप्राणी प्रेमियों ने कहा कि बीटीआर प्रबंधन ने लगभग दो साल के तीन शावकों (दो मेल व एक फीमेल) को उनकी मां से अलग कर दिया। इसका असर शावकों की सुरक्षा पर पड़ेगा।
बचाव में उतरे उप संचालक
विरोध का क्रम तेज होते ही बचाव में बीटीआर के उपसंचालक पीके वर्मा उतरे। उन्होंने कहा, मंगलवार को बाघ नहीं बल्कि बाघिन का ही रेस्क्यू किया गया था। उन्होंने इसके पीछे तर्क दिया कि रेस्क्यू से पहले शावकों के उनके मां के प्रति व्यवहार का अध्ययन किया गया और पाया कि वे मां से अलग रह रहे हैं। श्री वर्मा के बाद बीटीआर के संचालक एलएल उइके ने भी बुधवार शाम स्थिति साफ करते हुए कहा कि,जो काम हुआ है वह सही है। रेस्क्यू बाघिन का हुआ है। क्या पता कल बाघ की जानकारी कैसे बाहर गई।
रेस्क्यू के लिए बाघ के चयन में लापरवाही
बीटीआर प्रबंधन द्वारा मचखेता गांव में वन्यप्राणी-मानव द्वंद्व का हवाला देते हुए कजरी बाघिन का रेस्क्यू किया गया। इसके पीछे 7 नवंबर को मचखेता में बाघ के हमले से प्रेम सिंह पिता बाबूलाल उम्र 65 वर्ष की मौत और 18 अगस्त को राजबहोर पिता शिवभजन उम्र 35 साल की मौत का हवाला दिया गया। 18 अगस्त को बाघ के हमले से युवक की मौत के बाद ग्रामीणों ने जंगल में ही 24 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया था तब पार्क प्रबंधन ने बाघ को यहां से अलग करने की बात कही थी। ग्रामीणों का कहना है कि उनके उपर बाघ हमला कर रहा है और बीटीआर प्रबंधन ने बाघिन को रेस्क्यू कर दिया।
इसलिए गंभीर है मामला
टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में सर्वाधिक बाघ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हैं। यह पूरा क्षेत्र शिकार के मामले में भी संवेदनशील रहा है। ऐसे में जिन कंधों पर बाघों की सुरक्षा का जिम्मा है उनकी ही कार्यशैली पर इस तरह से सवाल उठेंगे तो इसे बेहतर व्यवस्था के नजरिए से भी ठीक नहीं ठहराया जा सकता है। बीटीआर में हुए इस ताजा घटनाक्रम के बाद यहां बाघों के लिए सुविधानजक माहौल बनाए रखने के मामले में प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। मंगलवार को रेस्क्यू में गलत बाघ का चयन अधिकारियों की कार्यकुशलता पर भी सीधे तौर पर सवाल खड़े करता है।