सेलू: जंगल सफारी के दौरान नजर आ रहे बाघ, भालू, तेंदुए बने आकर्षण के खास केंद्र
- बाघ सहित भालू और तेंदुए पर्यटकों को नजर आने लगे
- बोर बाघ प्रकल्प की जंगल सफारी
- पर्यटकों के लिए बना आकर्षण का केंद्र
डिजिटल डेस्क, सेलू। देश के सब से छोटे बाघ प्रकल्प के रूप में पहचाने जानेवाले बोर बाघ प्रकल्प में जंगल सफारी के दौरान बाघ सहित भालू और तेंदुए पर्यटकों को नजर आने लगे हैं। इस कारण इन दिनों बोर बाघ प्रकल्प की जंगल सफारी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है। तहसील के बोर बाघ प्रकल्प का कोर जोन 13 हजार 800 हेक्टेयर है। साथ ही बफर जोन 67 हजार 814.46 हेक्टेयर है।
इस प्रकल्प को अगस्त 2014 में बाघ प्रकल्प का दर्जा दिया गया है। जंगल का बढ़ा क्षेत्रफल इस प्रकल्प की विशेषता है। बाघ के संवर्धन के लिए यह प्रकल्प महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। इस बाघ प्रकल्प में बोर की महारानी बीटीआर-1 अंबिका नामक बाधिन, बोर बाघ प्रकल्प की रानी बीटीआर-3 कटरिना नामक बाधिन, बीटीआर-7 पिंकी नामक बाधिन, बीटीआर-8 युवराज नामक बाघ का यहां निवास है।
विदर्भ व विदर्भ के बाहर के पर्यटक इस बोर बाघ प्रकल्प में वन्यजीवों के दर्शन करने आते हैं। कुछ पर्यटकों ने बताया कि इस बोर बाघ प्रकल्प में जंगल सफारी के दौरान बीटीआर-3 कटरिना नामक बाघिन शावकों के साथ दिखाई दी। यही नहीं पट्टेदार बाघ, भालू और तेंदुए के दर्शन भी पर्यटकों को हो रहे हैं। विदर्भ में पांच प्रकल्प हैं।
इसमें वर्धा जिले के बोर बाघ प्रकल्प का समावेश है। विदर्भ के पांच बाघ प्रकल्प के कुल 300 चौरस किलोमीटर परिक्षेत्र पट्टेदार बाघ के निवास के लिए आरक्षित है। इस आरक्षित जंगल परिसर में बड़ी संख्या में पट्टेदार बाघों का निवास होने से फिलहाल विदर्भ देश के बाघों की राजधानी के रूप में पहचाना जाता है।
विदर्भ में 300 से अधिक बाघ बताए जा रहे हैं।