प्रदेश में ऐसा पहली बार: नगर निगम परिषद के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव
- कांग्रेस के 18 पार्षदों ने कलेक्टर को नोटिस देकर सम्मिलन बुलाने की मांग उठाई
- परिषद के अध्यक्ष के विरुद्ध प्रस्तावित अविश्वास के प्रस्ताव में 6 सूत्रीय आरोप शामिल हैं।
डिजिटल डेस्क,सतना। प्रदेश में संभवत: ऐसा पहली बार है जब नगर निगम परिषद के किसी अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव लाने के लिए सम्मिलन बुलाने की मांग हुई है। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष रावेंद्र सिंह मिथलेश के नेतृत्व में पार्टी के १८ पार्षदों ने नगर निगम परिषद के पीठासीन (अध्यक्ष) राजेश चतुर्वेदी के विरुद्ध कलेक्टर अनुराग वर्मा को आवेदन देकर नगर पालिक निगम अधिनियम की धारा- २३ क (२) के तहत अविश्वास के प्रस्ताव के संबंध में सम्मलिन बुलाने का आग्रह किया।
परिषद के मौजूदा अध्यक्ष भाजपा समर्थित हैं। कलेक्टर श्री वर्मा के मुताबिक सभी संबंधित पार्षदों से वन-टू-वन चर्चा के बाद सर्व सहमति बनने पर आगामी वैधानिक प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
६ सूत्रीय हैं आरोप:
परिषद के अध्यक्ष के विरुद्ध प्रस्तावित अविश्वास के प्रस्ताव में ६ सूत्रीय आरोप शामिल हैं। आरोप हैं कि उनके क्रियाकलाप पदीय गरिमा के विपरीत हैं। पदीय कर्तव्यों का निवर्हन साम्यपूर्ण नहीं है। परिषद की प्रत्येक बैठकों में पार्षदों के एजेंडा या अन्य प्रस्तावों की चर्चा कार्यवृत्त पुस्तिका में नहीं लिखी जाती हैं।
निर्वाचित पार्षदों के वार्ड की जनसमस्याओं को भी नहीं अंकित किया जाता है। नजीराबाद स्थित मुक्तिधाम के नाम परिवर्तन का प्रस्ताव बहुमत के अभाव में गिर जाने के बाद भी कार्यव्रत पुस्तिका में इसे नहीं लिखा गया। अपितु इस मामले में गलत टीप अंकित की गई। आरोप हैं कि परिषद की बैठक कार्यवाही कभी भी आगामी बैठक में नहीं सुनाई जाती है। पुष्टीकरण भी नहीं किया जाता है।
नगर की दुर्दशा और भारी भ्रष्टाचार:
नगर की ऐसी दुर्दशा पहले कभी नहीं हुई है। स्मार्ट सिटी के नाम से भ्रष्टाचार हुआ है। सीवर लाइन की अनियमित खुदाई,पेयजल,सफाई एवं बिजली की समस्याओं से आमजनता की पीड़ा के संबंध में बैठकों में किसी पार्षद को अपनी बात रखने की अनुमति नही दी जाती है।
उतैली में नारायण तलाब की मेड़ को फोडक़र जलमग्न करने की घटना के संबंध में दोषियो को चिन्हित करने एवं पीडि़तों की मदद के लिए आकस्मिक बैठक तक नहीं बुलाई गई। परिषद की बैठक निर्धारित समय पर नहीं बुलाई जाती।
जन सरोकार से जुड़े आवश्यक एजेंडों की उपेक्षा की जाती है। मनमानी एजेंडा शामिल किए जाते हैं। विपक्षी पार्षदों के आरोप हैं कि अध्यक्ष के क्रियाकलापों के कारण जहां परिषद की गरिमा गिरी है,वही नगर के समक्ष आसन्न खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव के लिए सम्मिलन आवश्यक हो गया है।
ये हैं प्रस्तावक :
अविश्वास प्रस्ताव के प्रस्तावकों में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष रावेंद्र सिंह मिथलेश, अशरफ अली बाबा, अमित अवस्थी, संजू यादव, सुनीता चौधरी, अर्चना गुप्ता, कमला सिंह, प्रवीण सिंह, माया देवी, तिलकराज सोनी, केके सिंह, शहनाज बेगम, सुषमा तिवारी, मो.तारिक, मो.रशीद, मनीष टेकवानी, पंकज कुशवाहा, रजनी तिवारी एवं कृष्ण कुमार शामिल हैं। जानकारों ने बताया कि अविश्वास के प्रस्ताव के लिए १६ पार्षदों की अनिवार्यता थी।
१. इनका कहना है-
१८ पार्षदों ने आवेदन देकर अविश्वास के प्रस्ताव के संबंध में सम्मलिन बुलाने की मांग की है। सभी संबंधित पार्षदों से वन-टू-वन चर्चा के बाद सर्व सहमति बनने पर आगामी वैधानिक प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
अनुराग वर्मा, कलेक्टर
२. विरोध करना और अविश्वास का प्रस्ताव लाना विपक्ष का अधिकार है। बतौर पीठासीन अधिकारी हमारे पास परिषद के सदन के संचालन का दायित्व है। जिसका हम बखूबी निवर्हन कर रहे हैं। हमने कभी किसी पार्षद की उपेक्षा नहीं कि और न ही सम्मान के विरुद्ध बात की है। आरोप निराधार हैं। यह प्रयास सफल नहीं होगा। इससे भाजपा और भी शक्तिशाली होकर सामने आएगी।
राजेश चतुर्वेदी, नगर निगम के परिषद अध्यक्ष
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फिलहाल संख्या बल पर भारी है भाजपा
जानकारों के मुताबिक नगर निगम परिषद के अध्यक्ष के विरुद्ध १८ विपक्षी पार्षदों के अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस मिलने के १० दिन के अंदर कलेक्टर इसी आशय से सम्मिलन आहूत कराकर
प्रस्ताव पर चर्चा कराएंगे। इसके बाद मतदान की प्रक्रिया होगी। नगर पालिक निगम अधिनियम की धारा- २३ के तहत प्रस्ताव पारित कराने के लिए वोटिंग के समय मौजूद पार्षदों की संख्या के मान से २/३ बहुमत की जरूरत होगी। मौजूदा समय में नगर निगम परिषद में ४५ सदस्य है। मेयर को भी सामान्य पार्षद की तरह वोटिंग का अधिकार होगा। इस प्रकार यह सदस्य संख्या ४६ हो जाएगी। अगर मतदान के समय सभी सदस्य उपस्थित रहते हैं तो बहुमत का आंकड़ा ३१ होगा।
बहुमत के लिए कांग्रेस को चाहिए १३ अतिरिक्त पार्षद
इन्हीं जानकारों ने बताया कि परिषद में मेयर एवं स्पीकर समेत भाजपा की सदस्य संख्या २७ है।
कुल ३१ सदस्यों के बहुमत के हिसाब से भाजपा को जहां सिर्फ ४ अतिरिक्त पार्षदों की आवश्यकता होगी। वहीं प्रमुख प्रतिपक्ष कांग्रेस के पार्षदों की संख्या १८ है। विपक्ष को अविश्वास का प्रस्ताव पारित कराने के लिए १३ अतिरिक्त पार्षदों की जरूरत होगी।
परिषद में निर्दलीय पार्षद महज एक है। अगर भाजपा में क्रॉस वोटिंग नहीं होती है और मतदान के समय पार्टी के सभी सदस्य मौजूद रहते हैं कांग्रेस की यह हसरत पूरी नहीं हो पाएगी? जानकारों की मानें तो नगर निगम परिषद के भाजपा समर्थित अध्यक्ष के विरुद्ध कांग्रेस की लॉबिंग लंबे अर्से से चल रही थी, लेकिन निर्वाचन के २ वर्ष बाद ही यह प्रस्ताव लाया जा सकता था।
पिछले माह ९ अगस्त को २ वर्ष की अवधि पूरी होते ही गुपचुप गतिविधियां शुरु हुईं। यह भी एक इत्तेफाक है कि २ वर्ष की अवधि पूरी होने के पूरे एक माह बाद ही विपक्ष ने अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास के प्रस्ताव का नोटिस दे दिया।
एक नजर में
कुल पार्षद : ४५
फुल कोरम पर बहुमत: ३१
भाजपा : मेयर समेत २७
कांग्रेस: १८
निर्दलीय: १