सर्पदंश से मासूम की मौत, नहीं मिला शव वाहन, चादर में लपेटकर बाइक से ले गए
डिजिटल डेस्क, सतना। जिला अस्पताल में शर्मनाक मामला सामने आया है। सर्पदंश से ४ वर्ष की मासूम की मौत के बाद शव ले जाने के लिए गरीब परिजन को जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में शव वाहन तक नहीं मिला। पोस्टमार्टम के बाद परिजन चादर में गठरी नूमा लपेटकर बाइक से मासूम का शव घर ले गए। परिजन ने बताया कि सेवा संकल्प भी गए लेकिन शव वाहन की सुविधा नहीं मिल पाई, और निजी शव वाहन बुक कर ले जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि जिला अस्पताल में एक भी शव वाहन नहीं हैं। अगर विशेष परिस्थितियां बनतीं हैं तो निजी मुर्दा वाहनों को भेजा जाता है, इसका पैसा अस्पताल प्रबंधन देता है। जिला अस्पताल में इस प्रकार का यह कोई पहला मामला सामने नहीं है। पहले भी ऐसे मामले आ चुके हैं। कई ऐसे केस भी सामने आए हैं जब अस्पताल में मौजूद अन्य लोगों ने शव वाहन बुक कर गरीबों की मदद की है। लेकिन इसमें कोई सामने नहीं आया।
४ घंटे बाद पहुंची १०८ एम्बुलेंस
जानकारी के मुताबिक जैतवारा थाना क्षेत्र के डांणी टोला निवासी विजय डोहर की ४ वर्ष की मासूम नियांशी के दाएं हाथ में २७ जून को घर के आंगन में जहरीले सांप ने डस लिया था। नियांशी के जानकारी देने के बाद परिजन ने १०८ में कॉल कर एम्बुलेंस की मदद मांगी। नियांशी के दादा छोटेलाल ने आरोप लगाया है कि शाम सवा ६ बजे कॉल करने के बाद भी ४ घंटे विलंब से रात १० बजे १०८ एम्बुलेंस पहुंची। रात ११ बजे नियांशी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। ड्यूटी डॉक्टर ने इमरजेंसी यूनिट में ही इलाज शुरू किया। कुद देर बाद मासूम की मौत हो गई। ऐसे हालत तब हैं जब जिले में आपातकालीन चिकित्सा सेवा के नाम पर ३० एम्बुलेंस दौड़ रही हैं।
इनका कहना है।
जिला अस्पताल में एक भी शव वाहन नहीं हैं जिससे परेशानी होती है। रही बात इस मामले की तो हमारे पास मृत मासूम के परिजन नहीं आए, अगर आते तो कहीं न कहीं से शव वाहन की व्यवस्था की जाती।
डॉ केएल सूर्यवंशी, सिविल सर्जन