सर्वे के नतीजों के कारण स्थानीय निकाय चुनावों में की जा रही है देरी - सुले

  • राष्ट्रवादी कांग्रेस की सांसद सुप्रिया सुले का आरोप
  • नहीं लगता कि चुनाव होंगे
  • सर्वे के नतीजों के कारण स्थानीय निकाय चुनावों में की जा रही है देरी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-18 12:53 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। शुक्रवार को बारामती में सांसद सुप्रिया सुले ने आरोप लगाया कि हमेशा सर्वे के आधार पर चुनाव कराने वाली केंद्र और राज्य सरकार हालिया हुए सर्वे के नतीजों से महाराष्ट्र में चुनाव नहीं करा रही है। सुले ने आरोप लगाया कि उन्हें नहीं लगता कि चुनाव होंगे। सुले ने कहा कि केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकारें नियमित रूप से चुनाव कराती रहती हैं। चूंकि इस बार सर्वेक्षण बहुत अच्छा नहीं है, इसलिए सरकार ने मनपा और जिला परिषद चुनाव नहीं कराए। डेढ़ साल बाद भी चुनाव नहीं हो रहे, यह ठीक नहीं है। जनता अपना काम किसके पास लेकर जाए? इसलिए चुनाव कराना जरूरी है। 

राष्ट्रवादी कांग्रेस में विभाजन के बाद सांसद सुप्रिया सुले यहां आई, उन्होंने कहा कि बारामती मेरा घर और कर्मभूमि है, यहां के लोग हमेशा मेरे साथ रहे हैं। निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों की समीक्षा करने पहुंची सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि बारामती के कार्यकर्ता पवार परिवार का अभिन्न अंग हैं। कार्यकर्ता आज भले ही कहीं भी हों, उन्हें गलत और अलग न समझें। मेरी राजनीति एक सामाजिक उद्देश्य है। मैंने पार्टी से सिर्फ लोकसभा का टिकट मांगा। मैं 3 कारणों के लिए राजनीति में आई हूं। वह हैं लोगों की सेवा करना, जनता और किसानों का सम्मान  और महाराष्ट्र का स्वाभिमान। पिछले 15 वर्षों से बारामती के लोगों ने मुझे एक सेवक के रूप में जो अवसर दिया, उसके लिए मैं हमेशा उनकी ऋणी रहूंगी। दिल्ली के दरबारी मेरा संसदीय कार्य देखते हैं। उन्होंने कहा कि बारामती लोकसभा क्षेत्र की आन, बान शान लोकसभा में नंबर एक पर रहे, इसके लिए मैं लगातार प्रयासरत हूं।

सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि आज भले ही पार्टी में कुछ लोगों की विचारधारा में अंतर आ गया है। हालांकि उसका पवार परिवार से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि राष्ट्रवादी पार्टी, पवार परिवार नहीं है। पिछले 24 वर्षों में कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने पवार के नेतृत्व को स्वीकार करने के लिए कड़ी मेहनत की है। हम जनता की सेवा के लिए राजनीति में आए हैं। पार्टी में कुछ लोगों ने अलग सोचकर अलग विचारधारा के साथ चलने का फैसला किया, जबकि कुछ लोगों ने एक ही विचार पर कायम रहने का फैसला किया। ये व्यक्तिगत मतभेद नहीं हैं, ये वैचारिक मतभेद हैं। सुले ने यह भी बताया कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। कई वर्षों तक एन. डी पाटिल ने एक अलग वैचारिक ढांचे में राजनीति की थी। पवार परिवार के बीच इतना गहरा रिश्ता है कि शेतकरी कामगार पार्टी और कांग्रेस की अलग विचारधारा व राजनीति रहने के बाद भी अपना रिश्ता बनाए रखा। राष्ट्रवादी का एक वैचारिक रुख है। आज हमारे बीच मनभेद नहीं, वैचारिक मतभेद हैं।

Tags:    

Similar News