गन्ने का दाम: कोल्हापुर के पालकमंत्री हसन मुश्रीफ का किसान नेता राजू शेट्टी से सवाल

  • नियमानुसार गन्ने का दाम देने के बाद भी चीनी मिलों की प्रताड़ना क्यों
  • हसन मुश्रीफ का सवाल
  • किसान नेता राजू शेट्टी से पूछा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-17 15:14 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। राज्य और केंद्र सरकार के कानूनों के अनुसार कोल्हापुर जिले की चीनी मिलों ने गन्ने की कीमत दी है। जब यहां की फैक्ट्रियां सख्ती से कानून का पालन कर रही हैं, फिर जो नियम देश में कहीं नहीं है, उसे लागू करके कोल्हापुर की चीनी मिलों को प्रताड़ित क्यों किया जा रहा है? कोल्हापुर के पालकमंत्री हसन मुश्रीफ ने स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के संस्थापक राजू शेट्टी से सवाल किया है कि कर्नाटक की एक चीनी मिल ने डेढ़ से दो लाख टन गन्ने की पेराई की है। उन चीनी मिलों को जिले का गन्ना ले जाने दिया जा रहा है, फिर सिर्फ हमें क्यों परेशान किया जा रहा है? गन्ने के दाम को लेकर हुई बैठक के बाद मीडिया प्रतिनिधियों से की गई बातचीत में मंत्री मुश्रीफ ने कहा, इस साल कम बारिश के कारण गन्ने का उत्पादन कम है। जो कर्मचारी सिर्फ तीन महीने फैक्ट्री चलाएंगे, उन्हें नौ महीने का बैठा कर वेतन देना होगा। गन्ना मजदूर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। उन्होंने वापस जाना शुरू कर दिया है क्योंकि उनके पास करने के लिए कोई काम नहीं है। इस स्थिति की जानकारी कारखाने के श्रमिकों को थी; लेकिन संगठन सुनने के मूड में नहीं है। कर्नाटक की हलसिद्धनाथ, बेदकीहाल, उगर, अथानी फैक्टरियों ने डेढ़ से दो लाख टन तक गणना पेराई की है।

यदि पिछले सीज़न के रेट को लेकर कोई विसंगति है तो उसके लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई है, जो 21 नवंबर तक रिपोर्ट देगी। समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी राहुल रेखावार हैं और सदस्य सचिव क्षेत्रीय चीनी संयुक्त निदेशक अशोक गाडे एवं किसान संघ और चीनी मिल मालिकों के पांच पांच सदस्य इसमें शामिल हैं। मंत्री मुश्रीफ ने यह भी कहा कि जिन फैक्टरियों को भुगतान करना है उन्हें जिला बैंक ऋण देगा। चीनी मिलों में पेराई का सीजन शुरू होने के सवाल पर मंत्री मुश्रीफ ने कहा, कोल्हापुर से हजारों टन गन्ना कर्नाटक जा रहा है। चीनी मिलों ने किसानों को कानून के मुताबिक रेट दिया है। उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है।

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