हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : समलैंगिक युगल को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश
- हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
- समलैंगिक युगल को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश
- सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से मिले
डिजिटल डेस्क, पुणे। समलैंगिक मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। जब समलैंगिक संबंधों की बात हो तो संवेदनशीलता दिखाएं। ऐसे जोड़ों के साथ उनके परिवार के कहने पर दुर्व्यवहार न करें। अदालत ने एक समलैंगिक जोड़े को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की पीठ ने बुधवार को महाराष्ट्र पुलिस को यह निर्देश दिया।
यहां रहने वाले एक समलैंगिक जोड़े की उम्र 28 और 32 वर्ष है। वे पहली बार 2020 में सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से मिले थे। इनमें से एक बिहार और दूसरी मूल रूप से सोलापुर का रहने वाली है। दोनों घर से भागकर पुणे में रहते थे। उन्होंने एक साथ जीवन शुरू किया। हालांकि परिवार ने 28 वर्षीय लड़की को जबरन घर ले जाने की कोशिश की। परिजन के डर से दोनों कर्नाटक भाग गए। उन्होंने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस पर आरोप है कि युवती को थाने बुलाया गया और नौ घंटे के बाद उसका बयान दर्ज किया गया।
याचिकाकर्ताओं ने सुरक्षा की मांग करते हुए उच्च अदालत में यह भी आरोप लगाया है कि दूसरी याचिकाकर्ता को पुलिस स्टेशन बुलाने के बाद अपने परिवार के पास नहीं लौटने पर गिरफ्तारी की धमकी दी गई थी। पुलिस की धमकी के बाद पहला याचिकाकर्ता घर लौट आई। हालांकि, उसे वहां कैद कर रखा गया था। इसलिए वह फिर घर से भाग गई और महाराष्ट्र में याचिकाकर्ता के पास आ गई। इस बार उन्होंने महिला आयोग को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है। साथ ही उन्होंने जान से मारने की आशंका जताते हुए सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
मामला बॉम्बे हाई कोर्ट तक पहुंच गया। कोर्ट ने दोनों समलैंगिक लड़कियों को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया है। पुलिस की ओर से अदालत को आश्वासन दिया गया कि एक पुलिस अधिकारी नियुक्त किया जाएगा और आपात स्थिति में वे इस अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।