छलका दर्द: भले मैं मुख्यमंत्री नहीं, लेकिन नकारा भी नहीं गया, लोगों के लिए तो आज भी मामा हूं
- भारतीय छात्र संसद के 13वें संस्करण का समापन
- पुणे में गरजे मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
डिजिटल डेस्क, पुणे। आज मैं पूर्व मुख्यमंत्री हूं, लेकिन लोगों ने मुझे नकारा नहीं है, आज भी मध्य प्रदेश के लोग मुझे मामा कहते हैं। राजनीति सिर्फ पद के लिए नहीं है, मैं राजनीति से बाहर नहीं हूं। शुक्रवार को 13वीं भारतीय छात्र संसद के समापन समारोह में विरोधियों पर निशाना साधते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके शिवराज सिंह चौहान ने बात कही। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान राजनीतिक विश्लेषक कह रहे थे कि भाजपा की जीत नहीं होगी, लेकिन मैं जीतने के लिए दृढ़ था। इस चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला और अब तक के सबसे ज्यादा वोट भी मिले। उन्होंने यह भी कहा कि, अभी भी बहुत काम करना बाकी है। हाल के 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर का उद्घाटन होगा। इतने वर्षों के संघर्ष के बाद अब रामलला भी आएंगे और रामराज्य भी आएगा।
शिवराज सिंह चौहान ने 10वीं कक्षा में पहले विरोध प्रदर्शन की यादें ताजा करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में प्रति 1000 लड़कों पर 912 लड़कियां थीं. बेटी को परिवार पर बोझ माना जाता था। इस तस्वीर को बदलने के लिए हमने लड़कियों की शादी करना शुरू किया। मुख्यमंत्री बनने के बाद लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की गई। लड़की परिवार की कमाने वाली बन गई। इसलिए मध्य प्रदेश में लड़कियों की संख्या बढ़ी। आज प्रति 1000 लड़कों पर 976 लड़कियाँ हैं। ये लड़कियाँ ही थीं जो मुझे मामा कहने लगीं। मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरा जीवन सफल हो गया है। महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया पुलिस में महिलाओं के लिए 13 प्रतिशत पद आरक्षित रखी गई। आज पूरे देश में लाडली बहना योजना की चर्चा हो रही है, यह योजना कोई रेवड़ी नहीं है, जनता के लिए कल्याणकारी योजना है।
चौहान ने कहा कि राम मंदिर अब कोई सपना नहीं रहा बल्कि एक वास्तविकता है, हालांकि हमें 'राम राज्य' लाने के लिए प्रयास और कड़ी मेहनत करनी चाहिए। मैं लोगों, समाज और देश के लिए काम करने के लिए राजनीति में आया हूं। आजकल कुछ लोग राजनीति को करियर के रूप में देखते हैं और सतही स्तर पर राजनीतिक गतिविधियां करते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि राजनीति सबसे ख़राब चीज़ है जो कोई भी कर सकता है, लेकिन यह मानसिकता ग़लत है। मैं क्रांतिकारी निर्णय ले सका जिसका लाखों नागरिकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा वो सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं राजनीति में आया और लोगों के लिए काम किया। इसलिए, मैं छात्रों से अपील करूंगा कि वे राजनीति में आगे आने से डरें नहीं, दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो युवा नहीं कर सकते। युवाओं को बड़ा लक्ष्य तय करना चाहिए और इसे पूरा करने का संकल्प लेना चाहिए।
लाइफ कोच और बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के प्रख्यात वक्ता और लोकसत्ता आंदोलन के अध्यक्ष डॉ. जयप्रकाश नारायण ने कहा, स्वामी विवेकानंद ने पहली बार अध्यात्मवाद को जन-जन तक पहुंचाया। उन्होंने इस राष्ट्र का निर्माण तब किया, जब हम आधुनिक युग में जाति, धर्म में बंटे हुए थे। राजनीति हर किसी के भविष्य को बदलने के बारे में है। सच्ची राजनीति एक विविधतापूर्ण समाज में परस्पर विरोधी हितों को समेटने का नेक प्रयास है, सीमित संसाधनों के साथ असीमित इच्छाएं और आज की जरूरतें कल के भविष्य के साथ है।
आज अधिकांश राजनीतिक दल पारिवारिक जागीर, निजी जागीर बन गये हैं। यदि हम युवा नई प्रतिभाओं को राजनीति में लाना चाहते हैं, तो नैतिक तरीकों से अनुकूल परिस्थितियाँ बनानी होंगी। एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ डी कराड ने समारोह की अध्यक्षता की। इस मौके पर वैज्ञानिक और शिक्षाविद् डॉ. विजय भटकर, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित मधयप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पुणेरी पगड़ी देकर सम्मानित किया गया।
समारोह के विशेष अतिथि डॉ. ज्ञानवत्सल स्वामी ने कहा, भारत का विश्वगुरु, महाशक्ति, विकसित राष्ट्र बनना तय है। छात्र जिम्मेदारी निभाते हैं और हमें साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।''प्रोफेसर डॉ. विश्वनाथ डी. कराड ने कहा, “भारत मानव जाति के लिए सद्भाव और शांति लाएगा। भारतीय संस्कृति, परंपरा और दर्शन हमें सिखाते हैं कि सत्य एक और केवल एक है। दुनिया को ये मूल्य सिखाने का समय आ गया है। छात्रों को देना सीखना चाहिए और उन्हें अनुशासित और समर्पित होना चाहिए और दुनिया के सामने एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए।
एमआईटी एसओजी के संस्थापक राहुल वी. कराड ने कहा, सरकार को युवाओं और भारत के भावी नेताओं को प्रशिक्षित करने और उनकी क्षमताओं का निर्माण करने के लिए स्कूल ऑफ गवर्नेंस की स्थापना में नेतृत्व और समर्थन करना चाहिए। हमारे लोकतंत्र को परिपक्व बनाना जरूरी है। हम भारतीय छात्र संसद और एमआईटीएसओजी जैसी पहलों के माध्यम से एक मजबूत चरित्र और शिक्षित राजनीतिक नेतृत्व लाने का प्रयास कर रहे हैं। छात्र नेता कौशल साहू (मध्यप्रदेश) एवं भारतेंदु (राजस्थान) ने प्रेरणादायक भाषण दिया। प्रेरक वक्ता संजय उपाध्ये ने भी सभा को संबोधित किया।