पुणे में बिजली आपूर्ति के सक्षमीकरण के लिए 2600 करोड़ की योजना

  • बिजली आपूर्ति का सक्षमीकरण
  • 2600 करोड़ की योजना

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-07 16:53 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। बढ़ती आबादी को सुचारू बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए महावितरण जोन सिस्टम को सशक्त बनाने और नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 2,600 करोड़ की योजना तैयार की गई है। उसके तहत स्मार्ट मीटरिंग के लिए 1700 करोड़, बिजली लीकेज रोकने के लिए 351 करोड़ और आधुनिकीकरण के लिए 558 करोड़ का प्रस्ताव किया गया है। भविष्य में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मौजूदा बिजली वितरण प्रणाली को सशक्त और आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। इसलिए, राज्य सरकार ने 39 हजार 602 करोड़ रुपये की संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) शुरू की है। इसके लिए एक योजना तैयार की गई है और पुणे क्षेत्र के लिए 2600 करोड़ रुपये के काम प्रस्तावित किए गए हैं। इन सभी कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है। ये काम जल्द ही शुरू किए जाएंगे.

इस योजना के माध्यम से 14 नए सबस्टेशन, सात नए स्विचिंग स्टेशन, दो नए पावर ट्रांसफार्मर (रोहित्र), 11 और 22 केवी क्षमता के एक हजार 218 नए वितरण ट्रांसफार्मर, 738 वितरण ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि, दो हजार 994 नए फीडर खंभे, एक हजार 630 नये छोटे एवं उच्चदाब फीडर तथा 162 फीडरों का पृथक्करण आदि कार्य किये जायेंगे। इसके अलावा 209 करोड़ 99 लाख के अन्य कार्य कराए जाएंगे। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण और उचित मूल्य पर बिजली की आपूर्ति करना, अगले वित्तीय वर्ष तक तकनीकी और वाणिज्यिक घाटे को 12 से 15 प्रतिशत तक कम करना, प्रति यूनिट बिजली आपूर्ति की प्रति यूनिट औसत लागत और राजस्व के बीच अंतर को शून्य करना है।

राजेंद्र पवार, मुख्य अभियंता, पुणे सर्कल, महा वितरण के मुताबिक जोन में पुणे शहर, पिंपरी चिंचवड़ शहर, मुलशी, वेल्हा, हवेली, खेड़, मावल, जुन्नर और अंबेगांव शामिल हैं। पुणे जोन में घरेलू, वाणिज्यिक, सार्वजनिक आदि सभी प्रकार के 35 लाख 14 हजार उच्च व निम्न दाब उपभोक्ता शामिल हैं। पुणे जोन के तौर पर महावितरण करीब डेढ़ हजार करोड़ का राजस्व इकट्ठा करती है। आरडीएसएस योजना को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है। पुणे जोन में करीब 2600 करोड़ के काम प्रस्तावित हैं। इन कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है। इन कार्यों में मौजूदा बिजली प्रणाली को सक्षम बनाना, उसका आधुनिकीकरण करना और नए बुनियादी ढांचे का निर्माण करना शामिल है।


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