पन्ना: भोलेनाथ का मंदिर बनवाकर अपनी २२ एकड जमीन देने के बाद भी उपेक्षा का शिकार

  • भोलेनाथ का मंदिर बनवाकर अपनी २२ एकड जमीन देने के बाद भी उपेक्षा का शिकार
  • पवई विकासखण्ड के टांई ग्राम में जानकी प्रसाद चौबे ने किया था यह सराहनीय कार्य

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-24 09:30 GMT

डिजिटल डेस्क, पन्ना। वर्ष १९७० में पवई विकासखण्ड के छोटे से गांव टांई के पुश्तैनी निवासी जानकी प्रसाद चौबे जिनके कोई संतान नहीं थी उनके द्वारा गांव में एक भगवान शिव जी के मंदिर का निर्माण करवाकर उसके रखरखाव और भगवान की पूजा-अर्चना करने के लिए अपने स्वामित्व की लगभग साढे बाइस एकड कृषि भूमि जो ८ एकड बुधेडा व १५ एकड टांइ हार में स्थित थी उसको झिरमिला गांव के ईश्वरदीन चौबे को सरवाकार बनाकर दे दी थी लेकिन जो आज के समय में कृषि भूमि बेशकीमती है। उसमें होने वाली साल में लाखों रूपए की फसल का तो उपयोग किया जा रहा है लेकिन मंदिर उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। यदि टांई निवासी जानकी प्रसाद चौबे जो आज दुनिया में नहीं हैं उनके द्वारा जो इतना सराहनीय कार्य जिसमें हमेशा उनको याद किया जायेगा उनकी इच्छानुसार कार्य न होने से गांव के लोगों में काफी निराशा देखी गई है। गांव के अंदर बने इस भोलेनाथ के मंदिर के चारों ओर लाखों रूपए की सम्पत्ति के मालिक के मंदिर के चारों तरफ गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ है। मंदिर दर्शन करने जाने वाले लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड रहा है।

समिति बनाकर संचालन की दी गई थी जिम्मेदारी

जानकी प्रसाद चौबे द्वारा वर्ष १९७० में मंदिर निर्माण कराये जाने के बाद १९७२ में जब मंदिर के रखरखाव के लिये अपनी कृषि भूमि झिलमिला के ईश्वरदीन चौबे के जिम्मे की थी तो उनके द्वारा गांव के ही लोगों की एक समिति का गठन किया गया था। जिसमें इंदल सिंह राजपूत, बैजनाथ सिंह राजपूत, मंगल सिंह राजपूत, बब्बू सिंह, रामसेवक राजपूत, मूरत सिंह, कुंजीलाल सिंह को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी कि यदि सरवाकार बनाया गया है और उनके द्वारा मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना सही ढंग से नहीं की जाती है तो उनको बदलने का अधिकार होगा लेकिन जो समिति में सदस्य बनाये गये थे उनमें से कोई भी सदस्य जीवित नहीं है और गांव के कुछ युवाओं ने समिति के नवीन गठन का प्रयास भी किया है लेकिन अभी तक उसमें कुछ नहीं हुआ।

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वर्ष में एक बार शरद पूर्णिमा को आकर खोवा बांटते हैं

टांई निवासी शुभम चतुर्वेदी बतलाते हैं कि झिरमिला के ईश्वरदीन चौबे का स्वर्गवास हो चुका है उनके तीन पुत्र है उनमें एक पुत्र शरद पूर्णिमा के दिन आते हैं वहीं से दो-तीन किलो खोबा लाकर गांव के लोगों को बांट देते हैं शेष दिन गायब रहते हैं।

मंदिर तक फैली गंदगी निकलना मुश्किल

जिस गांव में जानकी प्रसाद चौबे जैसे दानवीर हो उनके द्वारा मंदिर बनाकर अपनी सम्पूर्ण जमीन दे दी हो उसके पहुंच मार्ग की स्थिति अंत्यंत दयनीय हालत में हैं चारों तरफ से गांव के लोग कचडा डाल रहे हैं पानी की निकासी न होने के कारण बीचोंबीच पानी भर रहा है। ग्राम पंचायत भी पूरी तरह से लापरवाह बनीं है। उसके द्वारा भी इस मार्ग के पहुंच निर्माण को बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किये जा रहे हैं और इस परिवार के द्वारा भी ऐसा कोई कार्य नहीं किया है जो लाखों रूपए की फसल उपज कर रहे हैं।

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इनका कहना है

मेरी जानकारी में है इस मंदिर के लिए सरवराकार बनाया गया है। जमीन कितनी है यह तो अभी बता पाना संभव नहीं हैं लेकिन यह बात सही है कि मंदिर के लिए जमीन बांटी गई है। मेरे द्वारा वहां के पहुंच मार्ग के लिए भी ग्राम पंचायत से कहा गया है कि जिस प्रकार की जरूरत हो उसमें पूरी मदद की जायेगी।

योगेन्द्र मिश्रा

हल्का पटवारी टांई 

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