सागर की क्रांति बनी क्षुल्लिका विमोहिता श्री माताजी, विराग सागर जी के कर कमलों से मिली क्षुल्लिका दीक्षा
डिजिटल डेस्क, पन्ना। सलेहा के समीपवर्ती जैन तीर्थ श्रेयांश गिरी जी में आज परम पूज्य भारत गौरव राष्ट्रसंत गणाचार्य 108 विराग सागर जी मुनिराज के पावन कर कमलों से पथरिया निवासी सागर प्रवासी ब्रह्मचारिणी क्रांति जैन की भव्य क्षुल्लिका दीक्षा संपन्न हुई। दीक्षा उपरांत इनका नाम क्षुल्लिका 105 विमोहिता श्री माताजी रखा गया। मीडिया प्रभारी भरत सेठ घुवारा ने उक्त आशय की जानकारी देते हुए बतलाया कि आपका पूरा परिवार लगभग 30 वर्षों से पूज्य गुरुवर से जुड़ा हुआ है तथा आपने सन 2002 सागर में दो प्रतिमा के व्रत तथा सन 2023 बड़ा मलहरा में 7 प्रतिमा के व्रत पूज्य गणाचार्य श्री से लिए थे तथा अब तक घर मैं रहकर ही विशेष रूप से त्यागादि तथा व्रत की साधना की। ढाई महीने पूर्व अस्वस्थता अधिक होने के कारण परिजनों द्वारा विशेष ट्रीटमेंट कराने के उपरांत ज्ञात हुआ कि उन्हें कैंसर है चौथी स्टेज में होने के कारण जीवन अधिक समय का नहीं है तब स्वेच्छा से परिजनों से आग्रह किया कि मुझे सल्लेखना समाधि के लिए पूज्य गणाचार्य श्री के पास ले चलो। श्रेयांश गिरी में चातुर्मासरत पूज्य विराग सागर महामुनि राज ने ब्रह्मचारिणी क्रांति को क्षुल्लिका दीक्षा प्रदान की। अब बिमोहिता श्री श्रेयांश गिरी मैं रहकर साधना सल्लेखना धारण कर मुक्ति पथ की ओर अग्रसर है। वहीं पूज्य गुरुदेव सहित संपूर्ण संघ माताजी की सेवा भावना तथा संबोधन, पाठ आदि सुनाने में सतत् तत्पर हैं।