पन्ना: गलसुआ बीमारी से करें बचाव: सीएमएचओ

  • गलसुआ बीमारी के संबध में एडवाईजरी जारी
  • गलसुआ बीमारी से करें बचाव: सीएमएचओ

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-13 04:40 GMT

डिजिटल डेस्क, पन्ना। सीएमएचओ डॉ. व्ही.एस. उपाध्याय ने गलसुआ बीमारी के संबध में एडवाईजरी जारी की गई है। उन्होंने बताया कि गलसुआ बच्चों और युवाओं में होने वाली एक वायरल बीमारी है यह मुख्य रूप से लार ग्रंथियों को प्रभावित करती है। इसके लक्षण मरीज के संक्रमित होने के बाद आमतौर पर 2 से 3 सप्ताह के बीच दिखाई देते है। सबसे मुख्य लक्षण लार ग्रंथियों में सूजन ही होता है जिसमें चेहरे के एक तरफ या दोनों तरफ के गाल के पीछे के हिस्से फूलने लगते हैं। अन्यलक्षणों में चबाते या निगलते समय सूजन के कारण दर्द, मुंह सूखना, थकान और कमजोरी, भूख में कमी हैं। जुखाम और फ्लू की तरह गलसुआ भी फैलने वाला रोग है। यह संक्रमित व्याक्ति के छींकने या खांसने से संक्रमित व्यक्ति का जूठा भोजन व पेय पदार्थ ग्रहण करने, संक्रमित व्यक्ति के कपडों, वस्तुओं का उपयोग करने से होता है। गलसुआ की जटिलताएं बच्चों की तुलना में वयस्कों में अधिक होती है जिसमें वायरल मेनिनजाइटिस जो शरीर की केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली को संक्रमित कर देता है।

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अग्न्यीशय में सूजन व जलन में सूजन व दर्द होने लगता है यदि किसी व्यक्ति में ये लक्षण प्रदर्शित हो रहे है तो चिकित्सीय सलाह लेना बहुत जरूरी है। गलसुआ की रोकथाम हेतु छींकते समय टिशु पेपर का इस्तेमाल करें, गलसुआ का पहला लक्षण विकसित होते ही आइसोलेट हो जाए। नियमित रूप से अपने हाथों को साबुन-पानी से धोते रहना चाहिए। गलसुआ के लिए किसी प्रकार का उपचार उपलब्ध नहीं हैं इसलिए इस रोग की अवधि को पूरा करना ही पडता है। गलसुआ के उपचार का मुख्य लक्षण इस रोग के कारण पैदा होने वाले लक्षणों को शांत करना होते है जैसे लार ग्रंथियों में सूजन एवं दर्द होने पर उन्हेुं बर्फ से सेकें। जब थकान और कमजोरी महसूस हो तो उस समय आराम करें, बुखार के कारण निर्जलीकरण होने से बचाव करने के लिए अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें। अम्लीय खाद्य व पेय पदार्थो का सेवन न करें।  

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