Panna News: कैंसर पीडित महिला डेढ़ साल से अनुग्रह सहायता राशि के लिए भटक रही, पति की भी हुई थी कैंसर से मृत्यु

  • कैंसर पीडित महिला डेढ़ साल से अनुग्रह सहायता राशि के लिए भटक रही
  • पति की भी हुई थी कैंसर से मृत्यु
  • आर्थिक तंगी के चलते एक बेटी और दो बेटों ने पढ़ाई छोड़ी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-27 08:33 GMT

Panna News: हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ लेने के लिए कम पढ़े-लिखे लोगों को कितनी मशक्कत करनी पड़ती है सरकारी कार्यालयों के कितने चक्कर काटने पड़ते हैं इसका जीता जागता उदाहरण है कस्बे की बेवा चंदा अहिरवार जो स्वयं पिछले लगभग एक साल से मुंह के कैंसर से जूझ रही हैं। आर्थिक तंगी के अभाव में दो बेटों और एक बेटी ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी जबकि परिवार का बड़ा बेटा रामकेश शारीरिक रूप से अक्षम है जिसके ऊपर पूरे परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी है। जानकारी के अनुसार कस्बे में राजमिस्त्री का काम करने वाले दसैंया अहिरवार की मृत्यु 30 मई 2023 को कैंसर से हो गई थी। गरीबी रेखा में राशन कार्ड होने, संबल योजना का कार्ड बना होने सहित लगभग सभी दस्तावेज पूर्ण होने के बाद बाद दसैयां की विधवा चंदाबाई ने 27 जून 2023 को लोक सेवा कार्यालय सिमरिया में अनुग्रह सहायता राशि योजना का लाभ लेने आवेदन किया था। किसी कारण से दस्तावेज निरस्त हुआ तो ग्राम पंचायत मोहंद्रा के सरपंच व सचिव ने पात्र हितग्राही को लाभ दिलाने के उद्देश्य से दोबारा आवेदन करवाया लेकिन लगभग 15 महीने गुजर जाने के बाद भी महिला को मृत्यु की दशा में प्राप्त होने वाली अनुग्रह सहायता राशि प्राप्त नहीं हुई।

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वह कई बार सिमरिया और पवई के चक्कर काट चुकी है। एक साल पूर्व मुंह में छाला हुआ ठीक हुआ लेकिन दोबारा फिर जब ठीक नहीं हुआ तो इलाज के लिए रामकेश अपनी मां चंदाबाई को लेकर भोपाल गया। जहां उसे कैंसर होने की जानकारी प्राप्त पहले से समस्याओं का सामना कर रहे इस परिवार के ऊपर कैंसर बीमारी की सूचना होना किसी वज्राघात से कम नहीं था। शासन से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राशि आई थी। दीवालें खड़ी होने के बाद आवास को पूरा करना जो भी शासकीय राशि प्राप्त हुई वह पीडित परिवार ने पिता की दवा में खर्च कर दी इसका नतीजा यह हुआ कि पक्के मकान के ऊपर पांच लोगों का यह परिवार बरसाती तिरपाल की छत बनाकर ठंडी गर्मी और बरसात का मौसम काटता है। रामकेश निराश होते हुए कहते हैं कि अगर समय से अनुग्रह सहायता राशि मिल जाए तो घर की छत और मां की दवा के काम आ जायेगी। शासन से सभी दवा नि:शुल्क होने के बाद भी भोपाल आने-जाने का किराए में 3000 रूपए खर्च हो जाता है जो उसके पास नहीं है।

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इनका कहना है

जनपद पंचायत में अभी ढाई सौ से ज्यादा प्रकरण ऐसे लंबित हैं। हम सीरियल नंबर दिखवा कर सूची में इन्हें जम्प कराने का प्रयास करते हैं ताकि इन्हें जल्दी लाभ मिल जाए।

अखिलेश उपाध्याय, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जपं पवई

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