Panna News: वनभूमि आडे आ रही गरीबों के प्रधानमंत्री आवास निर्माण में, गुनौर जनपद पंचायत की बिलघाडी के मजरा राजापुर का मामला

  • वनभूमि आडे आ रही गरीबों के प्रधानमंत्री आवास निर्माण में
  • गुनौर जनपद पंचायत की बिलघाडी के मजरा राजापुर का मामला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-24 05:17 GMT

Panna News: सदियों से जिस भूमि में जो रहते चले आ रहे हैं उनको अभी तक उस जमीन का स्वामित्व नहीं मिल पा रहा है जबकि सरकार वर्षों से भूमिहीन या कब्जाधारियों को पट्टा बांटती चली आ रही है ऐसे सैकडों लोग हैं जिन्हें शासन की तमाम योजनाओं का लाभ मिल रहा है वह ग्राम पंचायतों की मतदाता सूची में शामिल होकर हर चुनाव में मतदान कर रहे हैं लेकिन उनके पास जिस जमीन में सैकडों वर्षों से उनके पूर्वज रहते चले आ रहे हैं उसका उनके पास कोई वैध दस्तावेज न होने के कारण हमेशा उनके ऊपर तलवार लटक रही है ऐसा ही एक मामला गुनौर जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत बिलघाडी का सामने आया है जिसके अंतर्गत ्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रएक मजरा राजापुर्र है ्रजहां पर ४०-५० घर है जिसमें सपेरा जाति, चौधरीव इक्का-दुक्का ब्राम्हणों के हैं जहां यह रह रहे हैं वह वनभूमि है और यही कारण है कि अभी इस ग्राम पंचायत के लिए २० प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत होकर पहुंचे हैं। जिनमें १० बिलघाडी के लखनपुरा व १० आवास मजरा राजापुर के सपेरा समाज के लोगों के लेकिन लखनपुरा के उन लोगों की किश्त तो आ गई परंतु मजरा राजापुर के जिन लोगों के आवास स्वीकृत हुये हैं उनके सामने वनभूमि आडे आ रही है।

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इसमें वन विभाग के साथ पटवारी ने भी वन भूमि होना अपनी रिपोर्ट में उल्लेख कर दिया है जिससे सपेरा समाज के लोगों के प्रधानमंत्री आवास अधर में लटक गये हैं। मंगलवार २२ अक्टूबर को ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती प्रीति पटेल के द्वारा कलेक्टर पन्ना के नाम लिखा गया पत्र लेकर सपेरा समाज के लोग मुख्यालय पहुंचे और कलेक्टर से मुलाकात कर सौंपा। जिसमें उल्लेख किया गया है कि सपेरा बस्ती राजापुर ग्राम पंचायत बिलघाडी में हैं जो लगभग ८० वर्ष से वहां रह रहे हैं जिससे आवास स्वीकृत होने के बाद वनभूमि होने के कारण आवास का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वनभूमि की स्वीकृति दिलवाये जाने की मांग की गई है ताकि गरीब परिवारों को शासन का लाभ लेकर छत के नीचे जीवन यापन कर सके हैं।

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वन विभाग के स्थान पर सीईओ को जांच के निर्देश

मजरा राजापुर के सेपरा समाज के लोग जो वन भूमि में आवास की स्वीकृति की मांग को लेकर यहां पहुंचे थे जिस पर संयुक्त कलेक्टर के द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गुनौर को जांच कर निराकरण करने के निर्देश दिए हैं। बल्कि जिला प्रशासन स्तर से यदि वन विभाग के डीएफओ को इस मामले में लेख किया जाता तो सीधे तौर पर गरीबों को लाभ मिलने की उम्मीद बनती। यह तो कहीं न कहीं औपचारिकता का निर्वहन किया है। जहां तक सीईओ जनपद पंचायत का सवाल है तो उनको तो पहले से ही इस प्रकरण के बारे में जानकारी है।

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वनाधिकार पट्टे व आबादी घोषित करने के लिए नहीं हुए प्रयास

मजरा राजापुर की वनभूमि में लंबे समय से रह रहे सपेरा, चौधरी समाज के लोगों को अभी तक वनाधिकार के पट्टे नहीं मिल पाये साथ ही उस भूमि को आबादी घोषित नहीं किया गया जबकि लगातार जिले में वनवासियों को पट्टे दिए जाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन होते रहे हैं लेकिन वह वहीं तक सीमित हैं। संबधित ग्राम पंचायत के द्वारा भी ग्राम सभा के माध्यम से ऐसे प्रयास नहीं किये गये कि यहां के लोगों को उसका लाभ मिल सके। ऐसे हालातों में केन्द्र व प्रदेश सरकार का वह सपना कैसे पूरा होगा कि हर गरीब को रहने के लिए पक्की छत होगी।

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इनका कहना है

मेरे द्वारा जनपद पंचायत में लिखित रूप से जानकारी दी गई है एसडीएम गुनौर को भी जानकारी दी गई है। वन विभाग से अनुमति दिलवाये जाने का आग्रह किया गया है।

हेतराम चौधरी, सचिव ग्राम पंचायत बिलघाडी जपं गुनौर

जिस जगह यह लोग रहे हैं वह वन भूमि है उसमें आगे की कार्यवाही वरिष्ठ अधिकारियों को करना है।

अखिलेश शर्मा, डिप्टी रेंजर गुनौर

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