Panna News: श्रृद्धालु सुंदरसाथ पहुंचे पन्ना, जंगलों-पहाडों में पैदल चलकर पूरी की पृथ्वी परिक्रमा

  • श्रृद्धालु सुंदरसाथ पहुंचे पन्ना
  • जंगलों-पहाडों में पैदल चलकर पूरी की पृथ्वी परिक्रमा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-16 11:14 GMT

Panna News: प्रणामी धर्मावलम्बियों के सबसे बडे तीर्थ पन्ना धाम में पिछले लगभग चार सौ सालों से पृथ्वी परिक्रमा करने की परंपरा चली आ रही है जो आज भी जारी है। शरद पूर्णिमा के ठीक एक माह बाद कार्तिक पूर्णिमा को पृथ्वी परिक्रमा होती है। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। समूचे विश्व में भारत इकलौता देश है जहाँ सदियों पूर्व बसुधैव कुटुंबकम की उद्घोषणा की गई थी। यह इस देश की खूबसूरती है कि यहाँ पर विविध धर्मावलम्बियों की धार्मिक आस्थाओं व परम्पराओं को न सिर्फ पूरा सम्मान मिलता है अपितु उन्हें पल्लवित और पुष्पित होने का अवसर व अनुकूल वातावरण भी सहज उपलब्ध होता है। इसी प्रणामी संप्रदाय के अनुयाई और श्रद्धालु शरद पूर्णिमा के ठीक एक माह बाद कार्तिक पूर्णिमा को देश के कोने कोने से यहां पहुंचते हैं। यहाँ किलकिला नदी के किनारे व पहाडियों के बीचोंबीच बसे समूचे पन्ना नगर के चारों तरफ परिक्रमा लगाकर भगवान श्री कृष्ण के उस स्वरूप को खोजते हैं जो कि शरद पूर्णिमा की रासलीला में उन्होंने देखा और अनुभव किया है। अंतध्र्यान हो चुके प्रियतम प्राणनाथ को उनके प्रेमी सुन्दरसाथ भाव विभोर होकर नदीं, नालों, पहाडों तथा घने जंगल में हर कहीं खोजते हैं। सदियों से चली आ रही इस परम्परा को प्रणामी धर्मावलम्बी पृथ्वी परिक्रमा कहते हैं।

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कण-कण प्रेम और आनंद से सराबोर हो उठता है

हरकुंडी गांव गुजरात से पृथ्वी परिक्रमा में शामिल होने सपरिवार पन्ना आये रश्मि भाई भट्ट 67 वर्ष बताते हैं कि पन्ना पुण्य भूमि है और इस भूमि की परिक्रमा करना सौभाग्य की बात है। नदीं, नालों, पहाडों और घने जंगलों से होकर पूरे पन्ना धाम की परिक्रमा गाते-बजाते करना सुखद अनुभव है। कार्तिक पूर्णिमा को सुबह 6 बजे से ही सैकडों फिट गहरे कौआ सेहा से लेकर किलकिला नदी के प्रवाह क्षेत्र व चौपडा मंदिर हर कहीं प्राणनाथ प्यारे के जयकारे सुनाई देते हैं। रोमांचित कर देने वाले आस्था एवं श्रद्धा के इस सैलाब से पवित्र नगरी पन्ना का कण-कण प्रेम और आनंद से सराबोर हो उठता है। उन्होंने बताया कि कार्तिक शुक्ल की पूर्णमासी पर प्रातरू 6 बजे से चारों मंदिरों की परिक्रमा के साथ पृथ्वी परिक्रमा का शुभारम्भ होता है। परिक्रमा की शुरुआत सुबह ०6 बजे मंगल आरती के साथ हो जाती है। प्रणामी संप्रदाय की इस अनूठी परंपरा के बारे में पं. दीपक शर्मा 55 वर्ष बताते हैं कि श्री प्राणनाथ जी मंदिर से पृथ्वी परिक्रमा की शुरुवात सुबह 6 बजे मंगल आरती के साथ हो जाती है जो देर रात्रि तक चलती रहती है। श्री त्रिपाठी बताते हैं कि सर्वप्रथम आये हुये श्रद्धालु पन्ना नगर में स्थित श्री प्राणनाथ जी मंदिर गुम्मट जी मंदिर, श्री बंगला जी मंदिर, सद्गुरू धनी देवचन्द्र जी मंदिर, बाईजूराज राधिका मंदिर में पूरी श्रद्धा के साथ सिर नवाते हैं। जंगल के रास्ते से होते हुये श्रद्धालुओं की टोलियां जब प्राकृतिक व रमणीक स्थल चौपडा मंदिर पहुंचतीं तो यहां पर प्रकृति के साथ संबंध स्थापित करते हुये कुछ देर विश्राम कर प्रसाद आदि ग्रहण करतीं हैं और फिर अपनी अल्प थकान को मिटाकर आगे की यात्रा पर निकल पडतीं हैं। पंडित दीपक शर्मा बताते हैं कि इस साल पृथ्वी परिक्रमा में गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ उत्तरप्रदेश तथा मध्यप्रदेश के दमोह, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, इन्दौर व उज्जैन आदि जिलों से 15 से 20 हजार सुन्दरसाथ पन्ना पहुंचे हैं। पडोसी देश नेपाल से भी अनेकों सुन्दरसाथ पृथ्वी परिक्रमा में भाग लेने पन्ना धाम आये हैं।

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पृथ्वी परिक्रमा करने पहुंचे श्रद्धालुओं का वरिष्ठ अधिवक्ता ने किया स्वागत

शहर के इंद्रपुरी कॉलोनी स्थित पार्क में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वरिष्ठ अधिवक्ता पंडित रामलखन त्रिपाठी ने अपने सभी सहयोगियों के साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालु सुंदरसाथ का स्वागत किया। गौरतलब हो कि अधिवक्ता श्री त्रिपाठी सुबह से लेकर शाम तक परिक्रमा मार्ग से निकलने वाले सभी श्रद्धालुओं का चाय पिलाकर एवं बिस्कुट खिलाकर स्वागत करते हैं। इस अवसर श्रीमती शारदा पाठक, मनीष मिश्रा, सुनील अवस्थी, श्रीमती निशा जैन, एडवोकेट अजय पटेरिया, चंद्रपाल प्रजापति, राजकुमार सेन, चंद्रभूषण जुनेजा, गौरीशंकर गुप्ता, रमन दीक्षित, अनुपम त्रिपाठी, हीरालाल विश्वकर्मा, महेश जैन, अजय श्रीवास्तव, राजू सिंगरौल, वीरेंद्र चौरसिया, रामलाल त्रिपाठी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।  

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