Panna News: टूटी छत, बिना पानी और विद्युत के शाला में भवन में बैठने को मजबूर बच्चे, आंगनबाडी केन्द्र भी विद्यालय में संचालित जहां भी बुनियादी सुविधायें नहीं
- टूटी छत, बिना पानी और विद्युत के शाला में भवन में बैठने को मजबूर बच्चे
- आंगनबाडी केन्द्र भी विद्यालय में संचालित जहां भी बुनियादी सुविधायें नहीं
Panna News: रैपुरा के शासकीय बालक शाला स्थित आंगनबाडी केन्द्र समस्याओं से जूझ रहा है। प्राथमिक शाला स्कूल के दो कमरों में आंगनबाडी संचालित है। एक कमरे में सारे बच्चे बैठते हैं जिसमें न ही पंखा है और नही प्रकाश के लिए विद्युत व्यवस्था। छोटे-छोटे बच्चे बिना पंखे के बैठे हैं और पानी का इंतजाम भी नहीं हैं। वहां मौजूद कुछ लोगों का कहना था कि पानी की व्यवस्था पास ही स्थित मोहल्ले के घरों से आता है जिससे खाना बनता है और पीने के पानी की व्यवस्था बनती है। वहीं दूसरे कमरे का छज्जा भी पहले से ही जर्जर हालत में है जिसकी कोई मरम्मत ही नहीं हुई है। ऐसा लगता है कि शिक्षा विभाग किसी बडे हादसे का इंतजार कर रहा है। आंगनबाडी केन्द्र क्रमांक ५२५ में दोपहर १ बजे तक आंगनबाडी में ताला लटका हुआ था। खिडकी से देखा गया कि यहां न ही बच्चों के लिए पंखा है और न ही बिजली की व्यवस्था है। जब आंगनबाडी शासकीय बालक शाला में पहुंचे तो देखा कि नवजात बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण चल रहा था।
टीकाकरण के दौरान महिलाएं एवं नवजात बच्चे बिना पंखे के टीकाकरण करा रहे थे। जानकारी लगाने पर पता चला कि कस्बे की सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में किसी न किसी सप्ताह टीकाकरण होता है। जहां किसी भी प्रकार की मूलभूत सुविधायें नहीं हैं। वहीं महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी का कहना है कि पेयजल की जिम्मेदारी पीएचई विभाग की है वहीं अगर दूसरे भवन में विद्युत सप्लाई है तो हम वहां से कनेक्शन नहीं ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमने सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए थे कि जहां भी भवन जर्जर है वहां किराए के मकान लेकर आंगनवाड़ी केंद्र लगाएं हम फिर से नोटिस जारी करेंगे कि अभी तक ऐसा क्यों नहीं हुआ। जब उनसे कहा गया कि इतने छोटे बच्चे गर्मी में कैसे रहते है तो उन्होंने कहा आंगनवाड़ी में पंखे का प्रावधान नहीं होता। आखिर ऐसे में विद्यालय भवन की व्यवस्था जर्जर है और आंगनबाडी केन्द्र की बुनियादी सुविधाओं विहीन है ऐसे में जिम्मेदार विभाग को इस ओर गंभीरता से ध्यान देते हुए उसे दुरूस्त कराना चाहिए क्योंकि यहां छोटे-छोटे बच्चों के भविष्य और उनके जीवन का सवाल है।
इनका कहना है
आंगनबाडी में पंखे का प्रावधान नहीं हैं, पीएचई विभाग पानी की व्यवस्था करे और बहुत सारे केन्द्र दूसरे विभाग के भवनों में संचालित है।
ऊदल सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग पन्ना