पन्ना पधारे राष्ट्रसंत विराग सागर जी ने दिए प्रवचन
डिजिटल डेस्क, पन्ना। परम पूज्य राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज ससंघ हीरों की नगरी पन्ना में पधारे हुए हैं। पूज्य गुरूदेव को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य पश्चिम बंगाल से आए हुए घूलियान जैन को प्राप्त हुआ। गुरूदेव ने अपने मंगल प्रवचन के माध्यम से श्रृद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य कुंदकुंददेव कहते हैं कि जो बाहर के दस प्रकार के परिग्रह से रहित हो चुके हैं वह दिगम्बर मुनि न खेती कर सकते हैं और न ही करा सकते हैं। उनके कोई मकान या दुकान नहीं होते वह पर्वतों, जंगलों व खण्डहर किलों एवं गृहस्थों से रहित घरों में रहते हैं।
वह नदीं की तरह बहते हुए नगर-नगर विचरण करते हैं। ऐसी दिगम्बर मुनियों की जीवन शैली होती है। साधुओं को कभी भी गृहस्थी के घरों में नहीं रूकना चाहिए क्योंकि वहां मंचेन्द्रियों के विषय परिपूर्ण मात्रा में होते हैं जिससे साधु का संयम भ्रष्ट हो सकता है। साधुजन सोना, चांदी, रूपया पैसा नहीं रख सकते हैं क्योंकि जिस श्रावक के पास दो कौडी न हो वह दो कौडी का है और जिस साधु के पास दो कौडी हो वह दो कौडी का भी नहीं रहता। अर्थात साधुओं के पास रूपया, पैसा, जमीन जायदाद शोभा नहीं देते। दुनिया नोटों के पीछे भागती हैं लेकिन दिगम्बर जैन मुनि मना कर देते हैं।