पन्ना: रोजगार की तलाश में पलायन कर गया आधा गांव, पन्ना जपं के ग्राम मकरी कुठार में सूने पडे मकान
- रोजगार की तलाश में पलायन कर गया आधा गांव
- पन्ना जपं के ग्राम मकरी कुठार में सूने पडे मकान
डिजिटल डेस्क, पन्ना। पन्ना जिले के जनपद पंचायत पन्ना का ग्राम पंचायत मकरी कुठार एक ऐसा गांव है जहां पर लगभग आधा गांव रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की ओर पलायन कर गया है और गांव घर, मकान और आंगन खाली पड़े है क्योंकि गांव में रोजगार न मिल पाने के कारण लोग बड़े शहरों की ओर पलायन कर गए। बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा पलायन पन्ना जिले में हो रहा है क्योंकि पन्ना मध्य प्रदेश की सबसे पिछड़े जिलों में शुमार है यहां ना कोई बड़े उद्योग धंधे, ना ही रोजगार को गति देती रेल और ना ही कोई बड़ा रोजगार स्थापित है इसलिए लोग रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की ओर पलायन को विवश हो रहे हैं। मकरी कुठार एक आदिवासी ग्राम है पन्ना जिला मुख्यालय से लगभग 30 से 35 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित है लोगों को गांव में रोजगार न मिल पाने के कारण लोग अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए बड़े शहरों में पलायन को विवश रहते हैं।
गांव में रह जाते है सिर्फ बुजुर्ग
बता दें कि पलायन की तस्वीर बहुत ही मार्मिक है क्योंकि पलायन के समय पति-पत्नि और बच्चे समेत जाते हैं और घर में सिर्फ बूढ़े माता-पिता रह जाते हैं। जिनका काम सिर्फ घर की रखवाली बचता है पति-पत्नि दोनों साथ में मजदूरी करते हैं और कुछ पैसा बचाकर वर्ष में एक बार अपने घर दिवाली दशहरा के समय पहुंचते हैं और गांव में सिर्फ बुजुर्ग ही रह जाते हैं।
शासन की योजनाएं जमीनी स्तर पर धराशाई
बता दे केंद्र और राज्य सरकार पलायन रोकने के लिए मनरेगा जैसी योजना जमीनी स्तर पर चलाती है पर व्यापक स्तर पर क्रियान्वयन न हो पाना एवं भ्रष्टाचार के चलते जरूरतमंदों को रोजगार नहीं मिल पाता एवं पन्ना में कोई बड़े उद्योग धंधे एवं रोजगार न होने के कारण लोग पलायन को विवश रहते हैं इसी कारण पन्ना जिले के लगभग हर ग्राम में लोग पलायन कर रहे हैं। प्रतिदिन बस स्टैंड में झुंड बनाए सीमेंट की बोरियों में अपना गृहस्थी का सामान रखे बस का इंतजार करते देखे जा सकते हैं।
पन्ना के मजदूरों को बंधुआ तक बनाकर रखा गया
जानकारी के अनुसार कई ऐसे प्रकरण निकलकर सामने आए हैं कि पन्ना के मजदूरों को तकरीबन दो बार महाराष्ट्र एवं हैदराबाद के पास बंधक बना लिया गया। मजदूरों द्वारा अपने रिश्तेदारों को फोन पर बताया कि ठेकेदार द्वारा हमें बंधुआ मजदूर बना लिया गया है कहीं आने-जाने पर पाबंदी रहती है और सिर्फ काम करवाया जा रहा है और पैसा भी नहीं दिया जा रहा। जिस पर रिश्तेदारों द्वारा प्रशासन से शिकायत की गई और बड़ी कठिनाइयां द्वारा उनको वहां से छुड़ाया गया जिसमें करीब 70 से 80 मजदूर शामिल थे।
इनका कहना है
बाहर काम की तलाश में जाना किसी का व्यक्तिगत निर्णय है। पंचायत में मनरेगा अंतर्गत पर्याप्त कार्य उपलब्ध हैं जिनमें मनरेगा श्रमिक इच्छानुसार शासन की श्रमिक दर पर कार्य कर सकते हैं।
संघ प्रिय, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत पन्ना