पन्ना: नगर परिषद गुनौर के विकास में वन विभाग का रोडा,शहर के मुख्य मार्ग पर स्थित 72 एकड वन भूमि पर नहीं हो पा रहा विकास

  • नगर परिषद गुनौर के विकास में वन विभाग का रोडा
  • शहर के मुख्य मार्ग पर स्थित 72 एकड वन भूमि पर नहीं हो पा रहा विकास
  • नगर परिषद के पास शासकीय भूमि का आभाव

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-09 10:58 GMT

डिजिटल डेस्क, पन्ना। जिले की सबसे बडी ग्राम पंचायत कही जाने वाली गुनौर को नगर परिषद बनाने की मांग लम्बे समय से होती रही है। 7 दिसम्बर 2020 को शासन द्वारा लोगों की इस मांग को पूरा किया गया और गुनौर, सिली व पडेरी ग्राम पंचायत को नगर परिषद गुनौर के रूप में अधिसूचित किया गया। इसके बाद गुनौर में विभिन्न विकास कार्य प्रारंभ हुए। नगर परिषद के चुनाव के बाद अस्तित्व में आई शहर की पहली नगर परिषद ने नगर के विकास हेतु ढेरों योजनाएं बनाई लेकिन नगर में शासकीय भूमि के आभाव के चलते कई तरह के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। यहां करोडों रूपये की लागत से सीएम राइज स्कूल बनाया जा रहा है। इस बृहद इमारत को बनाने के लिए नगर परिषद के पास कोई उपयुक्त स्थान नहीं था जिसके चलते शहर के बीच एक मात्र खेल मैदान में ही इस भव्य इमारत का निर्माण कराया गया जबकि इस तरह के बडे निर्माण शहर के बाहर होने से नगर के विकास को आयाम मिल सकते थे।

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बताया जाता है कि नव गठित गुनौर नगर परिषद अमानगंज, ककरहटी, कटन, बराछ, पन्ना, हरद्धाही सहित विभिन्न मुख्य मार्गों से जुडा है। अधिकांश मुख्य मार्ग पर प्राईवेट भूमि है कुछ एक मुख्य मार्ग पर शासकीय भूमि ही शेष है। जहां विकास योजनाएं प्रस्तावित है। इसके अलावा कटन व ककरहटी मुख्य मार्ग पर वन भूमि होने से इन क्षेत्रों में विकास योजनाओं का प्रसार नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते गुनौर शहर अन्य नगर परिषदों की भांति चारों ओर विकसित नहीं हो पा रहा है। नगर परिषद की अध्यक्ष अर्चना मलखान सिंह ने बताया कि नगर के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं है। जिसमें शॉपिंग कॉम्पलेक्स, खेल मैदान, बाजार आदि का विकास किया जाना है लेकिन भूमि के आभाव में यह कर पाना बेहद मुश्किल हो रहा है। मुख्य मार्ग पर जो महत्वपूर्ण खाली भूमि हैं वह वन क्षेत्र बताया जाता है ऐसे में दिक्कतें आ रहीं है। उन्होंने कहा कि शहर की सीमाओं में वन भूमि विकास के लिए बाधक है। ऐसे में शासन को नव गठित नगर परिषद गुनौर के विकास की संभावनाओं को देखते हुए शहर के अंदर स्थित 72 एकड के करीब वन भूमि को नगर परिषद के विकास कार्यों के लिए हस्तांतरित किया जाना चाहिए। शहर में वन भूमि अनुपयोगी है अन्य स्थान पर वन विभाग को भूमि आवंटित की जा सकती है। ऐसे में नगर का विकास और वन संरक्षण दोनों संभव है। शहर के बीच वन भूमि हमेशा विवादों का कारण बनती है।

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वन भूमि का गैर वन उपयोग के लिए क्या हैं नियम

वन संरक्षण अधिनियम 1980 वन भूमि के उपयोग को नियंत्रित करता है और गैर वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के रूपांतरण पर रोक लगाता है। वहीं मध्यप्रदेश वन नीति 2011 में शहरी क्षेत्रों में वन भूमि के विकास के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए गए हैं। नीति के अनुसार वन भूमि का उपयोग केवल तभी किया जा सकता है जब यह सार्वजनिक हित के लिए हो और इसके लिए वन विभाग से उचित अनुमति प्राप्त हो। मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम नगर और ग्राम क्षेत्रों में भूमि उपयोग को नियंत्रित करता है। अधिनियम के अनुसार वन भूमि को केवल तभी गैर वन उपयोग के लिए परिवर्तित किया जा सकता है जब नगर या ग्राम की विकास योजना में ऐसा प्रावधान हो। इन प्रावधानों के तहत शहरी सीमाओं में शामिल वन भूमि में विकास योजनाओं के निर्माण के लिए प्रक्रिया का पालन किया कर वन भूमि का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए नगर परिषद को विकास योजना का प्रस्ताव बनाना होगा। प्रस्तावित योजना पर जनता की राय जानने के लिए सार्वजनिक सुनवाई आयोजित करने के साथ वन विभाग से अनुमति या एनओसी प्राप्त करनी होगी। नगर परिषद के लिए नगर के विकास को गति प्रदान करने हेतु खासी मेहनत करनी होगी तभी गुनौर एक बेहत शहर के रूप में विकसित हो सकता है।

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इनका कहना है

नगर के विकास के लिए भूमि का आभाव है शहर में महत्वपूर्ण शासकीय भूमि वन भूमि है। यदि यहां विकास योजनाओं की अनुमति मिल जाये तो नगर के विकास में गति आ जायेगी गुनौर के लिए यह बेहद जरूरी है।

अर्चना मलखान सिंह

अध्यक्ष नगर परिषद गुनौर

शहर में स्थित वन भूमि पर विकास कार्य किया जा सकता है इसके लिए कुछ नियम तय किए गए हैं यदि भूमि आभाव है तभी ऐसा किया जा सकता है। नगर परिषद योजना बनाकर हमारे पास भेज सकती है हम उस पर विचार करेंगे जिले में ढेरों विकास कार्य वन भूमि पर हो रहे हैं।

पुनीत सोनकर

डीएफओ, दक्षिण वन मंडल पन्ना

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