पन्ना: श्यामगिरि में मौजूद है लुप्तप्राय मांसाहारी पौधा ड्रोसेरा
- श्यामगिरि में मौजूद है लुप्तप्राय मांसाहारी पौधा ड्रोसेरा
- एक छोटे से नाले के किनारे बंजर मिट्टी में कुछ अजीब
डिजिटल डेस्क, सलेहा नि.प्र.। अशोक नामदेव-बुंदेलखंड क्षेत्र का पचमढ़ी कहे जाने वाले दक्षिण वन परिक्षेत्र कल्दा पठार के घने जंगलों के बीच प्राकृतिक वनस्पतियों में शुमार एवं जैवविविधता से समृद्ध श्यामगिरि के जंगल में महत्वपूर्ण औषधियों का भंडार है लेकिन यहां पर कुछ ऐसी प्रजातियों के पौधे भी पाए जाते हैं जिन्हें अक्सर लोग किताबों के माध्यम से जानकारी अर्जित करते हैं या फिर टीवी पर ही देख पाते हैं। ड्रोसेरा एक कीटभक्षी पौधा है जो अपने भोजन की पूर्ति के लिए कीट-पतंगों का शिकार करता है। सुनने में भले ही अजीब लगे कि एक पौधा जीवित कीटों का शिकार कैसे कर सकता है लेकिन यह सच है। प्रकृति ने ड्रोसेरा की रचना कुछ इस तरह से की है कि वह अपने स्वयं भोजन की पूर्ति कीट-पतंगो से करता है। इसके पत्तों पर अनेक रेशे निकले रहते हैं जो एक चिपचिपा रस पैदा करते हैं जो सूरज की रोशनी में ओस की बूंदें मोती के समान चमकती है। इन चमकती बूँदों की ओर कीट आकर्षित होते हैं और स्पर्श करते ही चिपक जाते हैं।
यह भी पढ़े -कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास की छात्राओं को मिली आत्मरक्षा की ट्रेनिंग
इसके पश्चात कीटों के छटपटाने से लम्बे रेशे सक्रिय हो जाते हैं। रेशे के चारों तरफ से कीट को जकडक़र बंदी बना लेते हैं। इन रेशों से एक प्रकार का पाचक द्रव भी निकलता है जो कीटों के पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं। पाचन पूर्ण होने पर पुन: सीधे हो जाते हैं और अगले शिकार की प्रतीक्षा करने लगते हैं। ड्रोसेरा प्राय: नदीं, नाले या तालाब के किनारे उन क्षेत्रों में पाया जाता है जहां नाईट्रोजन की कमी होती है और वहां की जलवायु शुद्ध होती है। ड्रोसेरा जमीन से नाइट्रोजन प्राप्त करने में असमर्थ होता है इसलिए वह अपने शरीर में नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए कीट पतंगों का शिकार करता है।
एक छोटे से नाले के किनारे बंजर मिट्टी में कुछ अजीब
इस पौधे की पहचान दो दशक से प्रकृति संरक्षण कार्य कर रहे अजय चौरसिया पटना तमोली द्वारा बताया गया की कल्दा वन परिक्षेत्र के श्यामगिरि क्षेत्र में प्रकृति रहस्यों से भरी पड़ी है। वनस्पतियों के इस विचित्र संसार में अनेक आश्चर्यजनक अजूबे भरे पड़े हैं। उन्हीं में से एक अजूबा है मांसाहारी पौधों का अद्भुत संसार है। पौधे दिखाई दिए उनके बारे में जानने की उत्सुकता से गुलाबी पौधों को देखना शुरू किया उनकी तस्वीरें एकत्रित कर अवलोकन के बाद यह जानकारी हुई कि यह वही पौधा है जिसके बारे में हमने किताबों में पढा था। जिसे कीटभक्षी पौधा ड्रोसेरा कहते हैं। वर्तमान समय में घटते प्राकृतिक आवास के कारण ड्रोसेरा विलुप्त होने के खतरे में है। इसकी उपलब्धता बहुत कम है और लुप्तप्राय होने के कारण इसे सहेजने की आवश्यकता है। जो जैवविविधता संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इस प्रजाति कि इस पौधे के मिलने से जहां प्रकृति का संरक्षण होगा एवं पेड़ों के संरक्षण में प्रशासन को भी अपनी पहल करनी चाहिए जिससे इस तरह के पौधों का संरक्षण हो सके।