जर्जर हुई प्राथमिक शाला का भवन, नौंनिहालों पर बढ़ा खतरा
डिजिटल डेस्क, पहाडीखेरा नि.प्र.। सरकार द्वारा भले ही शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अनेक उपायों का दावा कर रही है इसमें सीएम राइज विद्यालय जैसी योजनाओ का भी गुणगान हो रहा है परंतु पन्ना जिले में सरकारी स्कूलो की हालत इसी तरह है कि जर्जर हो चुके पुराने विद्यालय में अभी भी कई गांवों में बच्चे पठन-पाठन के लिए मजबूर है। जहां पर बच्चों के जीवन पर भी खतरा मडंरा रहा है। पहाडीखेरा में स्कूल की बदहाली की जानकारी पहँुचने के बाद भी जिम्मेदार खमोश बैठे हुए है। पहाडीखेरा कस्बा से दो किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत भसूडा स्थित आदिवासी बस्ती गोडन टोला में संचालित प्राथमिक शाला की स्थिति बद से बदतर स्थिति में पहँुच गई है लगभग २३ साल पहले गांव के आदिवासियों बच्चो के लिए जो प्राथमिक शाला भवन बनाया गया था उसमें दो कमरो के साथ ही एक बरामदे का निर्माण किया गया था जो कि जीर्णशीर्ण स्थिति में पहँुच गया विद्यालय स्थित बरामदे तथा दोनो कमरे की छतो की सीलिंग उखड गई है जिसमें निकले सरिया खुले रूप में दिखाई दे रहे है। इसके साथ ही साथ दीवालो में दरारे आना भी शुरू हो गया है।
विद्यालय के कमरो की स्थिति यह है कि हॉल तथा दोनो कमरो की छतो की सीलिंग नीचे से मसले और गिट्टी के रूप में अचानक गिरती रहती है जिसके चलते बच्चों के लहुलुहान होने दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा मंडरा है। बरिश के समय विद्यालय भवन में पठन-पाठन का कार्य करवाना यह पर पदस्थ शिक्षिकाओ के लिए जोखिम के साथ चुनौती भरा कार्य हो जाता है। विद्यालय की छतो से रिसने वाला पानी विद्यालय की कक्षा में भर जाता है इसके यदि बारिश हो रही है तो विद्यालय के अंदर कक्षाओ का संचालन संभव नही होता है ऐसी स्थिति में विद्यालय की शिक्षिकायें समीप स्थित आंगनबाडी केन्द्र के अपर्याप्त छोटे से कमरे बच्चों के बैठाने के लिए मजबूर हो जाती है। विद्यालय की स्थिति को लेकर समय-समय पर वरिष्ठ अधिकारियों को विद्यालय की शिक्षिकाओ द्वारा जानकारी दी जा चुकी है परंतु कार्यवाही के नाम पर कुछ नही हो रहा है।
शाला में अध्ययनरत है ७० आदिवासी बच्चे
भसूूडा ग्राम पंचायत के गोडन टोला जहां पर प्राथमिक शाला संचालित है उसमें ७० आदिवासी बच्चे कक्षा ०१ से ५वीं तक की कक्षाओ में दर्ज है। विद्यालय में बच्चों की संख्या पर्याप्त होने के बावजूद जर्जर-जर्जर स्थिति वाले भवन में सभी बच्चे पढने के लिए मजबूर है। एक ओर जहां सरकार आदिवासियों उत्थान के लिए तरह-तरह की दावे कर रही है आदिवासियो के हितो को लेकर प्रतिबद्धता जताई जा रही है वहीं दूसरी ओर आदिवासियों के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था के प्रबंधन विद्यालय की बदहाल स्थिति को उजागर कर रहे है।
इनका कहना है
विद्यालय भवन की स्थिति ठीक नही है ७० बच्चे स्कूल में दर्ज है। मेरे सहित दो शिक्षिकायें विद्यालय में पदस्थ है। भवन के खराब होने के चलते परेशानी होती है बारिश में समस्या और अधिक बढ जाती है। जिसके चलते खुले में कक्षायें लगानी पडती है। बारिश होने पर आंगनबाडी के अंदर के कक्ष का उपयोग करना पडता है जो बहुत छोटा है्र। श्रीमती हृदेश बाजपेयी
प्रभारी प्रधान अध्यापक प्राथमिक शाला