अभी तक क्यों लंबित है मेडिकल यूनिवर्सिटी में घोटाले की निष्पक्ष जाँच का निर्णय- हाईकोर्ट
दो सप्ताह में जवाब देने का निर्देश अभी तक क्यों लंबित है मेडिकल यूनिवर्सिटी में घोटाले की निष्पक्ष जाँच का निर्णय- हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में पास-फेल कराने के घोटाले की निष्पक्ष जाँच का निर्णय अभी तक क्यों लंबित है। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से जानकारी दी गई कि परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना और डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. तृप्ति गुप्ता की प्रतिनियुक्ति निरस्त कर मूल विभाग में भेजने का निर्णय वापस ले लिया गया है। महिला अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन सिंह और अधिवक्ता अमित सेठ का पक्ष सुनने के बाद याचिका का निराकरण कर दिया गया है। याचिका की अगली सुनवाई 14 सितंबर को नियत की गई है। गढ़ा जबलपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद मिश्रा और प्रेमनगर निवासी अंकिता अग्रवाल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में बड़े पैमाने पर पास और फेल कराने का घोटाला चल रहा है। परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाएँ बाथरूम में पाई गईं। कई कॉलेजों के परीक्षा परिणाम दो-दो साल से रोक कर रखे गए हैं। ई-मेल भेजकर परीक्षा कराने वाली कंपनी से नंबर बढ़वाए गए। जाँच रिपोर्ट में पाया गया कि छात्रों को पास कराने के एवज में ऑनलाइन लेन-देन किया गया है। यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. टीएन दुबे ने परीक्षा कराने वाली कंपनी माइंडलॉजिक्स का ठेका निरस्त कर दिया था, उन पर इतना दबाव बनाया गया कि उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। जिन पर अनियमितता का आरोप है उन्हें उपकृत किया जा रहा है, जबकि गड़बड़ी पकडऩे वालों को सजा दी जा रही है, इसलिए मामले की हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की समिति से निष्पक्ष जाँच कराई जानी जरूरी है।