मुंबई भाजपा के उपाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी ने की देश के मन की बात
मोदी की लोकप्रियता मुंबई भाजपा के उपाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी ने की देश के मन की बात
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई भाजपा के उपाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी ने देश के मन की बात पर आलेख लिखते हुए पीएम मोदी का जिक्र किया। आचार्य पवन त्रिपाठी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से ही जनता से जुड़ने और उसके फीडबैक के साथ अपनी शासन प्रणाली को नित नूतन आयाम देते आए हैं। कुशल संवाद और जनता से सीधे जुड़ने की विलक्षण प्रतिभा की वजह से ही आज वो विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं की फेहरिस्त में सबसे ऊपर हैं। जिस तरीके से वे जनता के साथ सामाजिक, भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से जुड़ते हैं वह अद्भुत है। तभी वे सबके के दिलों पर राज करते हैं। उनके व्यक्तित्व में समाज के हर उम्र के लोगों से सहजता से ही जुड़ने और उन तक अपनी बात पहुंचाने की नैसर्गिक क्षमता है।
साल 2014 में प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद उन्होंने संवाद हेतु आधुनिक युग के कई तरीके अपनाए, लेकिन एक नायाब तरीका जो उन्होंने अपनाया, जिसे लेकर सारी दुनिया हैरत में पड़ गई, मासिक प्रसारित होने वाला कार्यक्रम ' मन की बात ' है। आज हर तरह के द्वंद, भ्रामक विचार और भय निराधार साबित हो चुके हैं। अब करोड़ों श्रोता हर माह रेडियो पर प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम का आगामी 30 अप्रैल को आकाशवाणी पर सौवें एपिसोड का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। संवाद की इस नवीन और कलात्मक प्रणाली ने पिछले कुछ वर्षों में लोकप्रियता के सारे मानदंडों पीछे छोड़ दिए।
जिस प्रकार 1990 के दशक में लोग रविवार को सुबह जिस बेसब्री से रामायण और महाभारत सीरियल का इंतज़ार करते थे। आज उसी तरह का आकर्षण और दीवानापन लोगों में ’मन की बात’ के लिए देखा जा सकता है। आज हर महीने के अंतिम रविवार को सुबह लाखों लोग इकट्ठा होकर अपने लोकप्रिय नेता की ज्ञानवर्धक, उत्साहवर्धक, प्रेरणादायक और रोमांचक बातें सुनने के लिए उत्सुक रहते हैं।
यह अपने आप में ऐसा विषय अध्ययन बिंदु है, जिसका परीक्षण होना चाहिए। साथ ही सबको इससे सीख भी लेनी चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये कोई एकल उवाच नहीं है। यह ऐसा संवाद सेतु है जिसमें समाज के कई शूरवीर और धरती पुत्र जिन्हें उनकी वीरता या सहयोग का जीवन में यश नहीं मिला, या जिनके बारे में कोई आज भी नहीं जानता, उनके बारे में भी इस कार्यक्रम के माध्यम से लोग अपनी बोल चाल की भाषा में गौरव गाथा सुनते हैं। इस तरह अज्ञात नायकों की कहानियों को सुनने का रोमांच जनता को भाता है।
इस तरह संवाद का यह माध्यम, एक वास्तविक और कारगर प्रवाह लिए होता है, जिससे जनता तक स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से संदेश पहुंचा दिया जाता है। इस संवाद प्रणाली वार्ता हेतु, समाज के हर वर्ग के लिए पर्याप्त अवसर और स्थान होता है, फिर वो चाहे किसी भी वर्ग, उम्र, भाषा या संस्कृति का क्यूं न हो।
दूसरी मज़ेदार बात और रोचक तथ्य इस कार्यक्रम का यह है कि, ‘मन की बात’ सीधे दिल से निकली हुई बात होती है। यहां माननीय प्रधानमंत्री किसी तरह का कोई कथानक नहीं बोलते, बल्कि यहां जनता की आवाज़ स्वयं उनके दिल से निकलती है। यही सच्चे अर्थों में मन की बात है। अगर मैं इसे और सरल तथा मूलक तरह से कहने के लिए एक शब्द जोड़ दूं तो, यह दरअसल 'देश के मन की बात' है।
इससे प्रधानमंत्री जी और साधारण जनता के बीच एक गहरी आपसी समझ और साझा दृष्टिकोण स्थापित होता है। जनता की भावनाओं और उनकी अपेक्षाओं को असाधारण प्रतिभा रूप से पढ़ लेने की कला और कौशल ही उन्हें एक प्रखर वक्ता, नीति-नियंता और जनमानस का सर्वप्रिय नेता बनाती है।कालांतर में इस मुद्दे पर सामाजिक और जनमानस के स्तर पर एक आंदोलन सा चल पड़ा है। जो अब भी जारी है। माननीय प्रधानमंत्री ने इस शून्य लागत वाले मीडिया माध्यम को सही दिशा देते हुए लोगों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक और विकास के मुद्दों को जन भागीदारी के लिए प्रेरित किया। साथ ही लोगों को इसके लिए जन संवेदना के स्तर पर भी अपनी बात रखी।
मन की बात कार्यक्रम में, प्रायः उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान, दहेज प्रथा, महिला सशक्तिकरण, नशा मुक्ति, सामाजिक कार्य, संगीत, कला, संस्कृति, स्वरोजगार प्रशिक्षण, जल संरक्षण, अंगदान जैसे समाज के व्यापक मुद्दों को उठाया। उन्होंने नागरिकों से जुड़े लगभग सभी पहलुओं पर अपनी बात रखते हुए लोगों को जागरूक बनाने का प्रयास किया है। अपने अधिकारों से जनता को अवगत भी कराया है। उनके उद्बोधन में सदैव ही जन मानस और लोकहित से प्रेरित शब्द ही होते हैं।
इस कार्यक्रम की एक और विशेषता यह है कि, ये अराजनैतिक प्रकृति वाला संवाद है। प्रधानमंत्री ने लोक हित की बातों को राजनीति से दूर ही रखा है। उनकी बातों के केंद्र बिंदु लोक सेवा और जनहित के मद्दे ही रहे हैं। उन्होंने हमेशा अपनी कहानियों और उपमाओं में प्रेरणा, महत्वाकांक्षा और पुरुषार्थ के बीच एक सटीक सामंजस्य स्थापित किया है। अब तक जितने भी प्रसारण हुए हैं उनमें उस कहानी का नायक कोई साधारण व्यक्ति ही रहा है, चाहे वह भारत का रहा हो या फिर विश्व के किसी और देश के अपरचित कोने से।
कोई भी ऐसी सीधी-सादी बात से सकारात्मक और प्रेरणादायक कर्म के पाठ सीख सकता है। सबसे महत्वपूर्ण गुणवत्ता इस पहलू की है कि, वह समझते हैं कि देश निर्माण के पथ पर सभी नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है। वे चाहते हैं कि हर नागरिक एकल और संयुक्त सहयोग का भागीदार बने। किसी साधारण आदमी या नागरिक के जीवन की विभिन्न परिधियों में असाधारण सहयोग का उल्लेख वे सदैव करते हैं, साथ ही उसकी अहमियत को इंगित करने से वो कभी नहीं चूकते।
आज इस कार्यक्रम के सौवें/शतकीय एपिसोड के अवसर पर मन की बात जैसे व्यापक संप्रेषण प्रयोग से हम दो विशेष बातें सीखनी चाहिए। पहली बात तो यह कि अगर आपको सत्ता और राजनीतिक सफलता प्राप्त करनी है तो आपको जनता की भावनाओं का मर्म समझना होगा।
दूसरी बात यह कि, संवाद का माध्यम उतना महत्व नहीं रखता जितना कि सारगर्भित बाते महत्वपूर्ण होती हैं। आज प्रधानमंत्री मोदी जी दशकों पुरानी रेडियो परंपरा से भी संवाद स्थापित कर के देश की धड़कन बन चुके हैं। इंटरनेट और सोशल मीडिया के तकनीकी क्रांति के युग में जब रेडियो जैसा मध्यम दम तोड़ता दिखाई दे रहा था, ऐसे समय में प्रधानमंत्री ने संवाद और संप्रेषण के लिए रेडियों को ही चुना। आकाशवाणी पर मन की बात की लोकप्रियता यह साबित करती है कि प्रधानमंत्री जी जनता की नब्ज टटोलने में निपुण हैं।