दो साल पहले पांच करोड़ रुपए की लागत से हुआ था निर्माण, लोनिवि जांचेगा गुणवत्ता

गोहावल के हायर सेकेंड्री स्कूल भवन में दरार दो साल पहले पांच करोड़ रुपए की लागत से हुआ था निर्माण, लोनिवि जांचेगा गुणवत्ता

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-09 08:27 GMT
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डिजिटल डेस्क,कटनी। विजयराघवगढ़ क्षेत्रांतर्गत शासकीय हाई स्कूल गोहावल का नवनिर्मित भवन फिर से गुणवत्ताविहीन कार्य के लिए चर्चाओं में है। दरअसल 5 करोड़ की लागत से तैयार यह भवन 2 वर्ष के अंतराल में ही निर्माण एजेंसी और ठेकेदार की सांठगांठ की कहाने सामने ला दिया। इसका निर्माण पीआईयू के द्वारा किया गया था, लेकिन निर्माण के समय ही गुणवत्ताविहीन सामग्री का उपयोग किया गया।

जिसका परिणाम था कि जब भवन बनकर तैयार हुआ तो दीवारों में दरारें दिखाई दी। शिकवा-शिकायत के बाद अफसरों ने लीपापोती कर दी थी। जनप्रतिनिधि प्रकोष्ठ शाखा से विधायक के लिखे पत्र के बाद जांच शुरू कर दी गई है। जांच का जिम्मा लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री को दिया गया है। बच्चों पर खतरे की आशंका इस स्कूल में 300 बच्चे अध्ययनरत हैं, लेकिन जिस तरह से कमरों का निर्माण गुणवत्ताविहीन किया गया है उससे खतरा बना हुआ है। विजयराघवगढ़ विधायक संजय सत्येंद्र पाठक ने कलेक्टर को सौंपे पत्र में लिखा है कि नवनिर्मित भवन के कमरे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जिससे कभी भी आकस्मिक घटना घटित हो सकती है। अध्ययनरत छात्र-छात्राएं भयभीत हैं। गुणवत्ता विहीन कार्य होने की शिकायत मिली है। इस संबंध में नवनिर्मित भवन के निर्माण कार्यों की जांच की जाए।

लीपापोती नहीं कर सकेंगे अफसर

इस मामले में अलग एजेंसी से जांच कराने का निर्णय लिया गया है। जिसका फायदा यह होगा कि पीआईयू के अफसर और उपयंत्री लीपापोती नहीं कर सकेंगे। लोकनिर्माण विभाग मामले की जांच करते हुए अपना प्रतिवेदन जनप्रतिनिधि प्रकोष्ठ शाखा को सौंपेगा। इसके पहले भी लोक निर्माण विभाग कई विवादित मामले की जांच कर चुका है। जिससे ग्रामीणों में आश है कि निश्चित ही इससे अफसरों की मनमानी सामने आएगी और नियमानुसार दोषियों पर कार्रवाई होगी। 

पहले भी कर चुके हैं मनमानी

यह पहला मामला नहीं है जब इस तरह से मनमानी की शिकायत किसी जनप्रतिनिधि ने की हो। इसके पहले भी बड़वारा के विलायतकला स्कूल में भी गुणवत्ता विहीन कार्य किये जाने की शिकायत लोगों ने की थी। सबसे मजे की बात तो यह थी कि सही शिकायत मिलने पर उक्त ठेकेदार को कार्य से तो कागजों में अलग कर दिया गया था, लेकिन बाद में वही ठेकेदार दूसरे का सहारा लेते हुए यहां पर भवन बनाया था। इस मामले में हमेशा की तरह शासन से वेतन लेने वाले निर्माण एजेंसी के अफसर साफ-साफ बचकर निकलने में कामयाब हो गए थे।

इनका कहना है

जांच सम्बंधी पत्र के अनुसार स्कूल भवन की जांच की जाएगी। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे उसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी जाएगी। आगे की कार्रवाई जनप्रतिनिधि प्रकोष्ठ से ही होनी है।
-हरिसिंह ठाकुर, कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी 
 

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