छात्रावास के स्वीपरों को दी जा रही मात्र दो हजार रुपए पगार, कलेक्टर से की फरियाद
छात्रावास के स्वीपरों को दी जा रही मात्र दो हजार रुपए पगार, कलेक्टर से की फरियाद
डिजिटल डेस्क, पन्ना। सरकार एक ओर दिहाड़ी मजदूरों को न्यूनतम वेतन न देने वालों पर कार्रवाई करने का कोड़ा फटकारती है तो दूसरी ओर खुद उसके विभाग में कर्मचारियों का जबर्दस्त शोषण हो रहा है। आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित छात्रावास में स्वीपर का काम करने वाले संतोष कुमार हरिजन शासकीय अनुसूचित जाति कन्या आश्रम पन्ना तथा रवि कुमार शासकीय अनुसूचित जनजाति बालक छात्रावास पन्ना ने आज जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच कर अपना वेतन बढ़ाये जाने की फरियाद की गयी। छात्रावास में पदस्थ दोनो स्वीपर अपने बच्चो और परिवार के साथ जनसुनवाई में कलेक्टर के यहां पहुंचे थे।
1997 से कर रहा है काम
संतोष कुमार ने जिला कलेक्टर को आवेदन देते हुये बताया कि वह छात्रावास में स्वीपर का काम वर्ष 1997 से कर रहा है वर्तमान में उसे 2 हजार रूपये की वेतन छात्रावास से मिल रही है। इस अल्प वेतन से वह अपने परिवार का भरण पोषण नही कर पा रहा है। उसकी दो बेटिया तथा दो बेटे है जो स्कूलो में पढ़ रहे है उनकी पढ़ाई की व्यवस्था मिलने वाली यह अल्प वेतन से नही कर पा रहा है। जो वेतन हॉस्टल में स्वीपर का काम करने के बाद मिलती है वह भी तीन-चार माह के अंतराल में प्राप्त होती है जिससे समस्या और भी बढ़ जाती है। स्वीपर संतोष कुमार ने बताया कि उसके अलावा उसकी पत्नि भी छात्रावास में काम करती है। सुबह सात बजे से लेकर करीब 11 बजे तक छात्रावास में स्वीपर का काम करने के बाद एवं दूसरा काम नही कर पाता। संतोष कुमार के साथ ही जनसुनवाई में पहुंचे रवि हरिजन ने बताया कि शासकीय अनुसूचित जनजाति बालक छात्रावास पन्ना में वह 2014 से स्वीपर का काम कर रहा है पहले एक हजार रूपये वेतन मिलती थी अब दो हजार रूपये वेतन निर्धारित की गयी है महज दो हजार रूपये की वेतन में उसे अपने दो बच्चो और पत्नि का भरण पोषण करना पड़ रहा है। अल्प वेतन के चलते परिवार की हालत माली है और बच्चो की पढ़ाई की आवश्यकताये पूरी नही कर पा रहा है। उसके द्वारा कई बार विभाग के अधिकारियो से वेतन बढ़ाये जाने के लिये अनुरोध किया गया है परंतु उसकी कोई सुनवायी नही हो रही है।