टूटी पटरी पर दौड़ा इंजन, युवकों की सूझबूझ से हादसा टला, ढाई घंटे बंद रहा परिचालन
टूटी पटरी पर दौड़ा इंजन, युवकों की सूझबूझ से हादसा टला, ढाई घंटे बंद रहा परिचालन
डिजिटल डेस्क,कटनी। दमोह रेल खंड पर बकलेहटा के समीप उस समय बड़ा हादसा टल गया जब टूटी पटरी से धड़धड़ाते इंजन गुजर गया। इसके पहले 6.55 बजे बिलासपुर-भोपाल पैसेंजर ट्रेन भी इस ट्रेक से गुजरी थी। अगर युवकों की नजर टूटे ट्रेक पर नहीं पड़ती तो बड़ा हादसा हो सकता था, क्योंकि कुछ ही देर में यहां से आधा दर्जन मालगाड़ियां निकलने वाली थी। रीठी- बकलेहटा स्टेशन के बीच किलोमीटर क्रमांक 1197 के 2/3 प्वाइंट पर पटरी में ज्वाइंट अप ट्रेक पर ज्वाइंट पर फ्रेक्चर हो गया था। स्टेशन मास्टर ने टूटे ट्रेक से कटनी की ओर से आ रहे रहे इंजन को पास कर दिया था। इस दौरान वहां से गुजर रहे स्थानीय युवक रामनारायण राय एवं गोलू कुशवाहा ने क्रेक पटरी को देख इंजन चालक को रुकने के इशारे किए पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इंजन फ्रेक्चर प्वाइंट को पार कर चुका था। सुबह लगभग सवा दस बजे इसकी जानकारी युवकों ने स्टेशन मास्टर को दी। कंट्रोल को मैसेज मिलते ही इस ट्रेक पर यातायात रोक दिया गया। आनन-फानन पीडब्ल्यूआई सहित कर्मचारियों की टीम ने पहुंचकर सुधार कार्य शुरु कराया। इस दौरान लगभग ढाई घंटे कटनी-दमोह रेल खंड में परिचालन बंद रहा। ट्रेक फ्रेक्चर होने से आधा दर्जन गुड्स एवं एक यात्री ट्रेन प्रभावित हुई है।
तो हो सकता था हादसा
रेलवे सूत्रों के अनुसार पटरी में ज्वाइंट के समीप क्रेक होने से यदि यात्री ट्रेनें या फिर मालगाड़ी गुजरती तो हादसे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता था। फ्रेक्चर की जानकारी मिलते ही ट्रेक पर आवाजाही रोक दी गई। स्टेशन मास्टर की सूचना पर एनकेजे एवं कटनी से पहुंचे स्टाफ द्वारा सुधार कार्य शुरु कराया गया। दोपहर दो बजे क्रेक पटरी के स्थान पर फिश प्लेटें लगाकर उसे जोड़ा गया। रविवार सुबह से इसे बदलने की कार्रवाई की जाएगी। सुधार के बाद एहतियात के तौर पर अप ट्रेक से 20 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पर ट्रेनें निकाली गईं।
इनका कहना है
सुबह बकलेहटा स्टेशन के समीप अप ट्रेक पर रेल फ्रेक्चर की जानकारी मिली थी। सूचना पर दल के साथ पहुंचकर सुधार कार्य शुरु किया था। लगभग दो घंटे की मशक्कत से सुधार के बाद ट्रेक पर ट्रेनों की आवाजाही शुरु हो गई है। रेल फ्रेक्चर के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दे दी गई है। -चंद्रभान मौर्या, पीडब्ल्यूआई